लेकर पीला पीला थैला,
पत्र बाँटने आता,
यह है मुन्शीराम डाकिया,
सब की चिठ्ठी लाता ।।
सर्दी हो चाहे गर्मी,
पानी गिरता झरझर,
चला जाएगा नही रुकेगा,
चिठ्ठी देता घरघर ।।
बड़े डाकखाने से आता,
लाता कभी रुपैया,
कभी किताबें दे जाता है,
मुझ को हँस हँस भैया ।।
गाँव गाँव जाता है,
पर कभी नहीं है थकता
लाता है सब की खुशखबरी,
सब के मन को भाता ।।
(कभी यह कविता पाठ्य-पुस्तक में पढ़ी थी. इसके रचनाकार का नाम नहीं पता, आपको पता हो तो बताइयेगा)
5 comments:
bahut sundar kavita..!!
My school days 5th class poem
जी हां, हमेंभी यह कविता पाॅंचवी कक्षामेंही थी.
Wow beautiful and nostalgic too
आज मुझे भी याद आयी यह कविता.
अग्रेशीत करने के लिये धन्यवाद 🙏🙏
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