पत्र-पत्रिकाओं में पत्र लिखने का जूनून लोगों में लम्बे समय से रहा है। ऐसे ही एक जुनूनी थे- कनकमल जैन .अपने रोचक अंदाज में पत्रों से सरकारी व्यवस्था में बदलाव करने की परंपरा शुरू करने वाले मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के छोटे से शहर जावरा के राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पत्र लेखक स्वर्गीय कनकमल जैन के पत्रों को अब पूरी दुनिया देख सकेगी। उनकी स्मृति में समाचार-पत्र लेखक मंच द्वारा श्री जैन के 11 हजार पत्रों की वेबसाइट बनाई जा रही है। वेबसाइट बनने पर दुनिया का कोई भी आदमी कम्प्यूटर पर एक क्लिक करते ही पत्रों को देख सकेगा।
अनूठे अंदाज और पत्रों के कारण देशभर में चर्चित रहे श्री जैन का मई 2009 में देहांत हो गया था। उन्होंने 1970 से पत्र लिखना शुरू किया था और अंतिम समय तक करीब 11 हजार पत्र लिख चुके थे। इन्हीं पत्रों को समाचार-पत्र लेखक मंच एक वेबसाइट बनवाकर उस पर डाल रहा है। इस वेबसाइट पर राजनीतिक, सामाजिक, व्यावसायिक व हर वर्ग के पत्रों का वर्गीकरण रहेगा। फिलहाल 1 हजार पत्रों को वेब साईट पर डालने का काम शुरू हो गया है। वेबसाइट का नाम अभी तय नहीं हुआ। वाकई ये पत्र संग्रहणीय है और लोगों को उन्हें पढ़कर काफी ज्ञान मिलता है।
समाचार-पत्र लेखक मंच के अध्यक्ष सुरेश मेहता, समीरमल कर्नावट ने बताया श्री जैन के पत्रों पर वेबसाइट बनाने के अलावा संभागीय पत्र लेखकों के लिए प्रतियोगिता भी होगी। श्रेष्ठ पत्रों का चयन कर उन्हें पुरस्कृत किया जाएगा। श्री जैन के पत्रों को राष्ट्रीय समाचार पत्रों में महत्वपूर्ण स्थान मिला था तथा पत्रों के आधार पर सरकार ने अपनी नीतियों में भी बदलाव किया। पत्रों के जरिए ही उनके 1 हजार मित्र भी बने थे। उनके लिखे पत्रों के साथ सारे दस्तावेज उनके कमरे में हैं जो एक अनूठा विश्व रिकॉर्ड है। वकालात की पढ़ाई किए बिना ही कानून का उन्हें अच्छा खासा ज्ञान था और अनेक मौकों पर उन्होंने अपने केस खुद लड़े।
अनूठे अंदाज और पत्रों के कारण देशभर में चर्चित रहे श्री जैन का मई 2009 में देहांत हो गया था। उन्होंने 1970 से पत्र लिखना शुरू किया था और अंतिम समय तक करीब 11 हजार पत्र लिख चुके थे। इन्हीं पत्रों को समाचार-पत्र लेखक मंच एक वेबसाइट बनवाकर उस पर डाल रहा है। इस वेबसाइट पर राजनीतिक, सामाजिक, व्यावसायिक व हर वर्ग के पत्रों का वर्गीकरण रहेगा। फिलहाल 1 हजार पत्रों को वेब साईट पर डालने का काम शुरू हो गया है। वेबसाइट का नाम अभी तय नहीं हुआ। वाकई ये पत्र संग्रहणीय है और लोगों को उन्हें पढ़कर काफी ज्ञान मिलता है।
समाचार-पत्र लेखक मंच के अध्यक्ष सुरेश मेहता, समीरमल कर्नावट ने बताया श्री जैन के पत्रों पर वेबसाइट बनाने के अलावा संभागीय पत्र लेखकों के लिए प्रतियोगिता भी होगी। श्रेष्ठ पत्रों का चयन कर उन्हें पुरस्कृत किया जाएगा। श्री जैन के पत्रों को राष्ट्रीय समाचार पत्रों में महत्वपूर्ण स्थान मिला था तथा पत्रों के आधार पर सरकार ने अपनी नीतियों में भी बदलाव किया। पत्रों के जरिए ही उनके 1 हजार मित्र भी बने थे। उनके लिखे पत्रों के साथ सारे दस्तावेज उनके कमरे में हैं जो एक अनूठा विश्व रिकॉर्ड है। वकालात की पढ़ाई किए बिना ही कानून का उन्हें अच्छा खासा ज्ञान था और अनेक मौकों पर उन्होंने अपने केस खुद लड़े।
1 comment:
बहुत सुन्दर जानकारी...
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