Saturday, September 12, 2009

जेब खर्च का जरिया बने प्रेम-पत्र

आपने वह कहानी तो सुनी होगी कि एक प्रेमिका प्रतिदिन अपने प्रेमी को डाकिया बाबू द्वारा प्रेम पत्र लिखवाती थी और अन्ततः एक दिन उसे उस डाकिया बाबू से ही प्रेम हो गया। पिछले दिनों अख़बार में एक वाकया देखा तो इस प्रसंग की याद आ गई. यह वाकया भी कुछ इसी तरह का है पर यहाँ डाकिया बाबू की भूमिका में कोई और है।

यह वाकया है चीन के एक कालेज स्टूडेंट वाग ली का। इन महाशय ने अपना जेब खर्च निकालने का अद्भुत तरीका निकाला है कि ये अपने साथ पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के लिए प्रेम पत्र लिखते हैं। आखिर इनकी राइटिंग खूबसूरत जो है और लच्छेदार भाषा व प्रवाह पर मजबूत पकड़ भी। वैलेन्टाइन डे पर तो इनकी चांदी रहती है क्योंकि इनके पास एडवांस बुकिंग रहती है। फिलहाल इस वाकये में दिलचस्प तथ्य यह है कि सबके लिए प्रेम पत्र लिखने वाले वाग ली कोई गर्लफ्रेंड नहीं है। पर इन महाशय के साथ भी डाकिया बाबू जैसा कुछ हो जाय इसकी गारन्टी देना सम्भव नहीं। प्रेम-पत्र लिखते-लिखते ये जनाब कभी लोगों के पत्र बांटने भी लगे तो कोई अजूबा नहीं होगा।

8 comments:

Bhanwar Singh said...

प्रेम-पत्र लिखते-लिखते ये जनाब कभी लोगों के पत्र बांटने भी लगे तो कोई अजूबा नहीं होगा...फिर आपका क्या होगा डाकिया बाबू .

Amit Kumar Yadav said...

हा..हा..हा...आपने जेब-खर्च निकालने का नायाब तरीका बता दिया...धन्यवाद डाकिया बाबू.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World said...

What a nice idea !!

Shyama said...

सोच रहा हूँ यह नुस्खा मैं भी ट्राई करूँ .

Ram Shiv Murti Yadav said...

ये भी खूब रही...फनी.

S R Bharti said...

Wahh,
Prem patron ke aise lekhan se "Dak Babu" ki bhumika bhi sandigdhta ke dayre mein hogi.

सुशीला पुरी said...

अरे ''वेलकम टू सज्जन पुर'' फिल्म में भी तो यही होता है ..........

संजय भास्‍कर said...

नायाब तरीका बता दिया.