Saturday, September 26, 2009

अब डाकघरों में भी कोर बैंकिंग और ए0टी0एम0

नेटवर्क की दृष्टि से डाकघर बचत बैंक देश का सबसे बड़ा रीटेल बैंक (लगभग 1.5 लाख शाखाओं, खातों और वार्षिक जमा-राशि का संचालन, 31 मार्च 2007 को कुल जमा राशि-3,515,477.2 मिलियन रूपये) है। यह अनुमान लगाया गया था कि वर्ष 2001 में डाकघर में बचत की कुल राशि भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 7 प्रतिशत बनती है। (विश्व बैंक अध्ययन की अंतिम रिपोर्ट, अगस्त, 2002)। 172 मिलियन से अधिक खाताधारकों के ग्राहक आधार और 1,54,000 शाखाओं के नेटवर्क के साथ डाकघर बचत बैंक देश के सभी बैंकों की कुल संख्या के दोगुने के बराबर है। डाकघर से बचत खाता, आवर्ती जमा, सावधि जमा, मासिक आय स्कीम, लोक भविष्य निधि, किसान विकास पत्र, राष्ट्रीय बचत पत्र और वरिष्ठ नागरिक बचत स्कीम की खुदरा बिक्री की जाती है।

डाकघर ही एक मात्र ऐसी संस्था है जो देश के सुदूरतम कोनों को जोड़ती है और इस तरह ऐसे क्षेत्रों में रह रहे लोगों को वित्तीय सुविधा मिलनी सुनिश्चित हो जाती है। अब, यह भांति-भांति की बैंकिंग एवं बीमा सेवाओं जैसे सावधि जमा, म्युचुअल फंडों, पेंशन आदि प्रदान करने का वन-स्टाॅप स्थान है। नरेगा के तहत कुशल/अर्ध-कुशल/अकुशल मजदूरों के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने में भारत सरकार को सहयोग देते हुए डाकघर मजदूरी का भुगतान करने का माध्यम भी बन चुका है।

अब डाक विभाग वर्तमान 11वीं पंचवर्षीय योजना के तहत कोर बैंकिंग साल्यूशन के तहत एनीव्हेयर, एनीटाइम, एनीब्रान्च बैंकिंग लागू करने जा रहा है। प्रथम फेज के तहत 2009-10 में 500 प्रधान डाकघरों को चुना गया है, जिन्हें 100, 100 और 300 के उपग्रुपों में विभाजित किया गया है। इसके तहत सभी खातों की डाटा फीडिंग, सिगनेचर स्कैनिंग, कम्प्यूटराइज्ड उपडाकघरों का प्रधान डाकघरों में इलेक्ट्रानिकली डाटा ट्रान्सफर, बचत बैंक नियंत्रण संगठन को प्रतिदिन रिटर्न का प्रेषण, सभी बचत सेवाओं का कम्प्यूटराइज्ड कन्सोलीडेटेड जर्नल, अनपोस्टेड आइटम, माइनस बैंलेन्स व आब्जेक्शन का निस्तारण, प्रतिदिन वाउचर चेकिंग, लेजर एग्रीमेण्ट व तदोपरान्त ब्याज का तत्काल जारी होना शामिल है। इसके तहत स्टाफ को प्रशिक्षित भी किया जायेगा।

डाकघरों में कोर बैंकिंग साल्यूशन लागू होने पर वर्तमान संचय पोस्ट साफ्टवेयर रिप्लेस हो जायेगा। इसके माध्यम से तमाम नई सेवायें मसलन नेशनल इलेक्ट्रानिक फण्ड ट्रान्सफर, इलेक्ट्रानिक क्लीयरेन्स सिस्टम, रियल टाइम ग्राॅस सेटेलमेन्ट इत्यादि लागू की जा सकेगी और एटीएम, इण्टरनेट बैंकिंग व मोबाइल बैंकिंग डाकघरों में भी आरम्भ किया जा सकेगा।

तो अब इन्तजार कीजिए कि आप डाकघरों में एटीएम, इण्टरनेट बैंकिंग व मोबाइल बैंकिंग का आनंद ले सकें। पर हाँ, अपने डाकिया बाबू को नहीं भूलिएगा। भूल गये तो ये सब बातें कौन बताएगा।

8 comments:

Bhanwar Singh said...

मेरा तो डाकघर में ही बचत-खाता है..कब से यह सेवा आरंभ हो जायेगी.

शरद कुमार said...

डाकघरों में एटीएम, इण्टरनेट बैंकिंग व मोबाइल बैंकिंग का आनंद...Thats great news.

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर.दुर्गा पूजा व विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं

Ram Shiv Murti Yadav said...

बेहतरीन जानकारी...डाक विभाग की छवि बदल रही है.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World said...

इसके माध्यम से तमाम नई सेवायें मसलन नेशनल इलेक्ट्रानिक फण्ड ट्रान्सफर, इलेक्ट्रानिक क्लीयरेन्स सिस्टम, रियल टाइम ग्राॅस सेटेलमेन्ट इत्यादि लागू की जा सकेगी और एटीएम, इण्टरनेट बैंकिंग व मोबाइल बैंकिंग डाकघरों में भी आरम्भ किया जा सकेगा।........Fir Bank wale kya karenge ???

Shyama said...

Wonderful Information.

Anonymous said...

नौजवान मंत्रियों के साथ डाक विभाग भी अब करवटें बदलने लगा है....वक़्त के साथ सुन्दर कदमताल.

विनोद पाराशर said...

’अब डाकघरों में भी कोर-बॆंकिंग ओर ए०टी०एम०’-बहुत ही अच्छी जानकारी दी आपने.प्रतिस्पर्धा के युग में यदि विभाग को अपना अस्तित्व बनाये रखना हॆ,तो जनता को ये सभी सुविधायें देना अति-आवश्यक हे.यादव जी,आप विभाग के उच्चाधिकारी हॆं,यह तो अवश्य ही जानते होंगें कि नयी टॆकनालोजी का प्रशिक्षण जब तक सभी कर्मचारियों को ठीक ढंग से नहीं दिया जायेगा,तो विभाग का यह सपना पूरा कॆसे होगा ? अभी तो विभाग में कर्मचारियों को प्रशिक्षण के नाम पर एक रस्म अदायगी की जा रही हॆ.जिन कर्मचारियों को कम्पयूटर की बेसिक जानकारी नहीं हॆ,उन्हें सीधे-सीधे विभागीय साफ्ट्वेयर सिखाये जा रहें हे,जो उचित नहीं हॆ.काउंटर पर कार्य करने के दॊरान यदि कोई सामान्य त्रुटि भी आ जाये तो उन्हें सिस्टम मॆनेंजर का इंतजार करना पडता हॆ.क्या ऎसा नही हो सकता कि विभाग के सभी कर्मचारियों को पहले एक अनिवार्य बेसिक कम्पयूटर कोर्स करवाया जाये,ताकि इस संबंध में उनकी रुची बढे.अभी भी काम के हिसाब से विभाग में कर्मचारियों की काफी कमी हॆ.मुझे तो लगता हे आज के हालात में,विभाग के अघिकतर कर्मचारी/अधिकारी बहुत अधिक तनाव-ग्रस्त हॆं.इस तनाव को कम किये बिना कोर-बॆकिंग का सपना,केसे पूरा होगा ?