राजधानी दिल्ली के प्रगति मैदान में शनिवार से शुरू हुई डाक टिकटों की विश्वस्तरीय प्रदर्शनी में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पसंदीदा व स्वदेशी की पहचान ‘खादी’ पर छपा डाक टिकट मुख्य आकर्षण बना हुआ है।
राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील ने प्रगति मैदान में सप्ताह भर चलने वाले ‘इंडीपेक्स-2011’ का उद्घाटन करते हुए कहा कि महात्मा गांधी पर पहली बार एक विशेष खादी का डाक टिकट जारी किया जा रहा है और इसे जारी कर मैं खुद सम्मानित हुई हूं।
प्रदर्शनी के आयोजक, भारतीय डाक ने कहा कि कुल 71 देशों से कोई 595 टिकट संग्राहक इस प्रदर्शनी में हिस्सा ले रहे हैं। इसके अलावा टिकट संग्रह से जुड़े दुनिया भर के 28 व्यापारी और 31 डाक प्रशासन भी हिस्सा ले रहे हैं। इसके पहले भारत ने 1954 और 1997 के बीच इस तरह की पांच प्रदर्शनियों का आयोजन किया था।
खादी डाक टिकट वास्तव में घरेलू स्तर पर तैयार किए गए खादी के कपड़े पर छपा है, जिस पर मोहनदास करमचंद गांधी यानी महात्मा गांधी का चित्र है।
यह टिकट एक सीमित संस्करण है, जो एक विशेष संग्राहक के पास उपलब्ध है। इस टिकट की कीमत 250 रुपये है और इंडीपेक्स की वेबसाइट पर इसे ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। कोई भी व्यक्ति अधिकतम 10 टिकटों का आर्डर दे सकता है। इस टिकट की पहली खेप यहां चंद मिनटों में ही बिक गई।
भारतीय डाक ने कहा कि कई देशों ने डाक टिकट छापने के लिए सिल्क जैसी वैकल्पिक सामग्रियों के साथ प्रयोग किया है। भारतीय डाक ने हालांकि सिर्फ कागज पर टिकट छापें हैं। इसमें तीन सेट सुगंधित टिकट भी शामिल हैं। लेकिन पहली बार खादी पर छपा एक विशेष डाक टिकट जारी हुआ है।
भारतीय डाक ने कहा है कि प्रदर्शनी का दूसरा आकर्षण ‘मेरे डाक टिकट’ है। इस टिकट पर कोई व्यक्ति अपने चित्र छपा हुआ पा सकता है और इसका इस्तेमाल सगाई व बेटे के जन्म दिन का उत्सव मनाने या किसी को शुभकामना संदेश भेजने में किया जा सकता है।
इसके अलावा सूर्य, विमान, रेल इंजन, वन्य जीव, ताज महल और भारतीय लोक कथा, पंचतंत्र से लिए गए चित्रों वाले टिकट शीट भी उपलब्ध हैं। एक टिकट शीट की कीमत 150 रुपये है।
प्रदर्शनी का अन्य आकर्षण होगा भारतीय सिनेमा की छह महान अभिनेत्रियों पर जारी होने वाले डाक टिकटों का सेट। इन अभिनेत्रियों में मीना कुमारी, नूतन, कानन देवी, देविका रानी, लीला नायडू और सावित्री देवी शामिल हैं। ये टिकट रविवार को जारी होंगे।
साभार : हिंदुस्तान
राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील ने प्रगति मैदान में सप्ताह भर चलने वाले ‘इंडीपेक्स-2011’ का उद्घाटन करते हुए कहा कि महात्मा गांधी पर पहली बार एक विशेष खादी का डाक टिकट जारी किया जा रहा है और इसे जारी कर मैं खुद सम्मानित हुई हूं।
प्रदर्शनी के आयोजक, भारतीय डाक ने कहा कि कुल 71 देशों से कोई 595 टिकट संग्राहक इस प्रदर्शनी में हिस्सा ले रहे हैं। इसके अलावा टिकट संग्रह से जुड़े दुनिया भर के 28 व्यापारी और 31 डाक प्रशासन भी हिस्सा ले रहे हैं। इसके पहले भारत ने 1954 और 1997 के बीच इस तरह की पांच प्रदर्शनियों का आयोजन किया था।
खादी डाक टिकट वास्तव में घरेलू स्तर पर तैयार किए गए खादी के कपड़े पर छपा है, जिस पर मोहनदास करमचंद गांधी यानी महात्मा गांधी का चित्र है।
यह टिकट एक सीमित संस्करण है, जो एक विशेष संग्राहक के पास उपलब्ध है। इस टिकट की कीमत 250 रुपये है और इंडीपेक्स की वेबसाइट पर इसे ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। कोई भी व्यक्ति अधिकतम 10 टिकटों का आर्डर दे सकता है। इस टिकट की पहली खेप यहां चंद मिनटों में ही बिक गई।
भारतीय डाक ने कहा कि कई देशों ने डाक टिकट छापने के लिए सिल्क जैसी वैकल्पिक सामग्रियों के साथ प्रयोग किया है। भारतीय डाक ने हालांकि सिर्फ कागज पर टिकट छापें हैं। इसमें तीन सेट सुगंधित टिकट भी शामिल हैं। लेकिन पहली बार खादी पर छपा एक विशेष डाक टिकट जारी हुआ है।
भारतीय डाक ने कहा है कि प्रदर्शनी का दूसरा आकर्षण ‘मेरे डाक टिकट’ है। इस टिकट पर कोई व्यक्ति अपने चित्र छपा हुआ पा सकता है और इसका इस्तेमाल सगाई व बेटे के जन्म दिन का उत्सव मनाने या किसी को शुभकामना संदेश भेजने में किया जा सकता है।
इसके अलावा सूर्य, विमान, रेल इंजन, वन्य जीव, ताज महल और भारतीय लोक कथा, पंचतंत्र से लिए गए चित्रों वाले टिकट शीट भी उपलब्ध हैं। एक टिकट शीट की कीमत 150 रुपये है।
प्रदर्शनी का अन्य आकर्षण होगा भारतीय सिनेमा की छह महान अभिनेत्रियों पर जारी होने वाले डाक टिकटों का सेट। इन अभिनेत्रियों में मीना कुमारी, नूतन, कानन देवी, देविका रानी, लीला नायडू और सावित्री देवी शामिल हैं। ये टिकट रविवार को जारी होंगे।
साभार : हिंदुस्तान
2 comments:
हमने भी पहले से दस बुक करवा रखे थे। दो घंटे पैसे देने वाली लाइन में और दो घंटे टिकट लेने वाली लाइन में लगकर दस टिकट हासिल किये। टिकट तो सौ रुपये का है उसके साथ जो छोटा सा फोल्डर है उसकी कीमत डेढ़ सौ रुपये लगाई गई है। डाक विभाग की मुनाफाखोरी देखकर दंग रह गया। टिकट को लेकर पहले जो भी सूचनायें मिलीं
उनसे कहीं नहीं पता चल रहा था कि ये टिकट 250 रुपये का नहीं सिर्फ सौ रुपये का है। जिन लोगों से पहले से बुक नहीं करवाये थे वो एक छोटी सी लाइन में लगकर सिर्फ सौ रुपये का टिकट ले ले रहे थे आसानी से। हमने बुकिंग का सम्मान किया, वरना चाहते तो हम भी ढाई हज़ार के बजाय हज़ार रुपये में काम चला लेते। टिकट मेले में बदइंतज़ामी बहुत ज़बरदस्त है।
वाह, नई-नई बातें..जय हो गाँधी बाबा की.
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