Tuesday, June 26, 2012

Now get more remittances under International Money Transfer Services from Post Offices

ALLAHABAD: The transferring of money from abroad has always been a problem. However, the International Money Transfer Scheme (IMTS) of the department of Posts has made it comparatively quick and easier.

Elaborating on various aspects of the scheme, director postal services, Allahabad region Krishna Kumar Yadav said that with the cooperation of private money transfer firm, the money sent through abroad can be obtained by the recipient in India within few minutes, in selected post offices. Basically this service is available for those NRIs, whose families reside in India. In this service a special code is issued to sender and receiver can obtained payment very easily through this code.

Yadav further intimated that under this scheme the number of remittance has been enhanced from 12 to 30 times for single beneficiary in a calendar year from June 2012. Due to this, there is great scope to transfer money from abroad. In this service there is no facility of remittance to abroad. In 2011; 6,253 transactions were done, while in current year upto May 2012; 2,198 transactions took place in Allahabad. Although about 500 IMTS transactions are being done every month, in Allahabad.

Yadav added that the maximum limit of USD 2,500 can be sent at a time as per RBI regulations, which must however be only for personal use. Due to this the payment under this service is made to the person not to any firm, company, trust or society. Amounts upto INR. 50,000/- may be paid to the beneficiary in cash. Any amount exceeding this limit shall be paid by means of account payee cheque or credited directly to the savings account in the post office in the name of the beneficiary. However, in case of foreign tourists, higher amounts can be payable in cash.

He said in Allahabad region there are 89 post offices including all head post offices, where this service is available. Among these there are 18 post offices in Allahabad division, where the service of IMTS is made available. Allahabad includes services at Allahabad HO, Kutchery HO, Allahabad city, high court, Cavalry Line, GTB Nagar, Bahadurganj, CDA Pension, Athrampur, Bharwari, Handia, Karchhana, Manjhanpur, Phoolpur, Naini, Sirathu and Soraon post offices. The post offices have been directed to treat the payee as "most favoured customers", which ensures courteous and efficient service to them.

Courtesy : Times of India

Friday, June 22, 2012

डाक विभाग की इण्टरनेशनल मनी ट्रान्सफर सेवा : अब 12 की बजाय साल भर में 30 बार विदेशों से धन मंगाने की सुविधा

विदेशों से धन मंगाना सदैव से एक समस्या रही है पर डाक विभाग की इण्टरनेशनल मनी ट्रान्सफर सेवा ने इसे बेहद सुगम, आसान और त्वरित बना दिया है। इलाहाबाद परिक्षेत्र के डाक निदेशक श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि वेस्टर्न यूनियन फाइनेन्सियल सर्विसेज प्रा0 लि0 के सहयोग से आरम्भ इस सेवा के अन्तर्गत प्रेषक द्वारा विदेशों से भेजी जाने वाली धनराशि चन्द मिनटों में ही प्राप्तकर्ता द्वारा प्राप्त की जा सकती है। यह सेवा मूलतः उन प्रवासीय भारतीयों के लिए है जिनके परिवार वाले भारत में रहते हैं। इसके अन्तर्गत एक विशेष कोड जारी किया जाता है, जिसको बताकर प्राप्तकर्ता यहाँ भारत में उसका भुगतान आसानी से ले सकता है।

डाक निदेशक श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि इस सेवा के तहत एक कैलेण्डर वर्ष में पहले एक व्यक्ति द्वारा मात्र 12 बार धन विदेशों से मंगाया जा सकता था, जिसे कि जून 2012 से बढ़ाकर 30 कर दिया गया हैं। इससे इस सेवा के तहत धन मंगाने की आमद में काफी वृद्धि होने की संभावना हैं। इस सेवा में मात्र विदेशों से धन मंगाने की सुविधा है, विदेशों को धन भेजने की नहीं। फिलहाल इलाहाबाद में हर माह लगभग 500 लोग आई0एम0टी0एस0 के माध्यम से विभिन्न देशों से धन मंगा रहे हैं। वर्ष 2011 में जहाँ 6253 बार डाकघरों से धन मंगाया गया, वहीं इस वर्ष माह मई तक 2198 बार धन मंगाया जा चुका हैं।

गौरतलब है कि इस सेवा के तहत एक बार में मंगायी गयी राशि 2500 यू0एस0 डालर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इसमें 50 हजार रूपये तक की धनराशि नकद एवं उससे ज्यादा धनराशि चेक/डिमाण्ड ड्राफ्ट के द्वारा दी जाती है। इस सेवा का उपयोग मात्र व्यक्तिगत उपयोग के लिए किया जा सकता है न कि किसी प्रकार के व्यवसायी उपयोग के लिए। इसी कारण इसका भुगतान मात्र व्यक्ति को किया जा सकता है, किसी फर्म, कम्पनी, ट्रस्ट, सोसाइटी को नहीं। श्री यादव ने बताया कि डाकघर में बिना असुविधा के प्राप्तकर्ता को धन प्राप्त होता है। इसके लिए उसे मात्र एक विशेष टी0आर0एम0 फार्म भरना पड़ता है और कुछ चुनिन्दा पहचान पत्र जैसे-पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेन्स, वोटर कार्ड, पैन कार्ड, राशन कार्ड, केन्द्र-राज्य कर्मचारियों के पहचान पत्र इत्यादि प्रस्तुत करना पड़ता है।

डाक निदेशक श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि इलाहाबाद परिक्षेत्र के सभी प्रधान डाकघरों सहित कुल 89 डाकघरों में यह सेवा उपलब्ध है। इनमें इलाहाबाद में कुल 18 डाकघरों में इण्टरनेशलन मनी ट्रान्सफर सेवा की विशेष सुविधा उपलब्ध करायी गयी हैं, जिनमें इलाहाबाद प्रधान डाकघर, कचेहरी प्रधान डाकघर, इलाहाबाद सिटी डाकघर, हाईकोर्ट डाकघर, केवेलरी लाइन्स, जीटीबी नगर, दारागंज, बहादुरगंज, सीडीए पेंन्शन, अटरामपुर, भरवारी, हंडिया, करछना, मन्झनपुर, फूलपुर, नैनी, सिराथू एवं सोरांव डाकघर शामिल हैं।

(साभार : दैनिक जागरण अख़बार में प्रकाशित समाचार)

Wednesday, June 20, 2012

Direct Post : Postal department offers alternate route to candidates

ALLAHABAD: Offering some respite to candidates contesting municipal elections, the postal department has provided a unique alternative to the candidates. As it will not be possible for candidates to reach each and every house in his /her ward and also following restrictions on processions and road shows, the scheme entitled 'Direct Post Scheme', offers to deliver pamphlets of candidates in any area of choice.

As per the scheme, candidates and parties can hand over their election pamphlets to the post office where the postman would then deliver it to all the houses in the area specified by them. The cost is a modest Rs 1.50 per pamphlet, but it is accompanied by a rider that the number of such leaflets and pamphlets should not be less than 1,000.

Giving this information director postal services, Allahabad region, Krishna Kumar Yadav said that with increasing commercial activity, the need for direct advertising of their products and services by the business organisations is growing. Direct Post is the un-addressed component of Direct Mail, and would comprise of un-addressed postal articles like letters, cards, brochures, questionnaires, pamphlets, samples, promotional items like CD's/floppies and Cassettes etc, coupons, posters, mailers or any other form of printed communication that is not prohibited by the Indian Post Office Act 1898 or Indian Post Office Rules 1933.

To avail the Direct Post scheme the organisation or the individual would have to give at least 1,000 articles. For the local distribution of articles, the India Post would charge Rs. 1.50 per articles for the first 20 grams, while Rs 2 per article for distribution anywhere in the country.However, for every additional 20 grams or part thereof both local and inter-city articles would be charged Rs. 1 extra. The India Post would not accept articles which exceed the length and width of an A3 size paper. Articles posted as Direct Post' should not bear any address or name and the same would be accepted only by the designated post offices and not in a letter box.

Yadav said that the article would certainly have more credibility, if the same is distributed at home by the postman, unlike it being distributed by a hired person on the roadside. Even in this scheme the senders of Direct Post can specify the numbers and areas, in which the sender wishes the Direct Post articles to be distributed. Besides, the department would also inform the sender that the articles handed over by him had been delivered according to his instructions.

Courtesy : Times of India

Monday, June 18, 2012

अब नेताओं के संदेश भी लायेगा डाकिया

वक़्त के साथ भारतीय डाक विभाग ने तमाम योजनायें लागू की हैं, उन्हीं में से एक है- 'डायरेक्ट पोस्ट'. डायरेक्ट पोस्ट के तहत बिना पता लिखी डाक को लक्षित जनता के दरबाजे तक पहुँचाया जाता है. भारतीय डाक विभाग की वेबसईट के अनुसार इस सेवा का उपयोग विभिन्न वर्ग के लोग कर सकते हैं, जिनमें राजनैतिक दल भी शामिल हैं. ऐसे में यदि भाजपा को वोट दें, साइकिल पर मुहर लगाएँ या कांग्रेस का हाथ आपके साथ, ऐसे नारे लिखे पर्चे या अपीलें लेकर डाकिया आपके घर पहुँचे तो हैरान होने की जरुरत नही । दरअसल अब नेताओं की बातें आप तक पहुँचाना उसकी नौकरी में शामिल हो गया है । डाक विभाग यह काम मुफ्त में नही बल्कि व्यावसायिक नजरिये से पैसे लेकर करता है । ऐसी ही सेवाएँ प्रचार चाहने वाले अन्य कार्य-क्षेत्रों को भी दी जा रही हैं.

इसके तहत राजनैतिक दलों ही नही उत्पादन, निर्माण और सेवा क्षेत्र के निजी या सरकारी संस्थान भी प्रचार के लिए इसका सहारा ले सकते हैं । मसलन किसी कम्पनी को अपने उत्पादों की खासियत उपभोक्ताओं तक पहुंचानी या फिर कोई धार्मिक-समाजिक संस्था अपनी बात लोगों तक पहुँचाना चाहती है तो उसके लिए भी डायरेक्ट पोस्ट सेवा के द्वार खुले है । इसके जरिये पर्चे, प्रचार, साहित्य, अपीलें ही नहीं सीडी, कैसेट और कम्प्यूटर फ्लापी भी मनचाहे क्षेत्रों में लोगों तक पहुँचाने का दायित्व डाक विभाग लेता है. इस सेवा का लाभ लेने से पहले सम्बन्धित संस्थान या व्यक्ति को कुछ शर्तों का पालन सुनिश्चित करना होगा। जैसे कि भेजने वाला निश्चित पते पर सामग्री नही भेज सकता । बस उसे इतनी छूट होगी कि वह क्षेत्र निर्धारित कर दे। वही सामग्री स्वीकार की जायेगी जो इंडियन आफिस एक्ट-1898 और इंडियन पोस्ट आफिस रुल्स 1933 में निषिद्ध नहीं की गयी है । इस सेवा में विभाग एक हजार से कम संख्या में सामग्री स्वीकार नहीं करेगा । एक जिले में अर्थात स्थानीय वितरण कार्य के लिए डेढ रुपये प्रति नग और एनी जगहों के लिए 2 रूपये प्रति 20 ग्राम की दर से शुल्क वसूला जायेगा । 20 ग्राम से अधिक वजन होने पर प्रति 20 ग्राम तक 1 रूपये ज्यादा चार्ज देने होंगें. शर्त यह भी है कि सामग्री का आकार ए-3 से अधिक न हो।

Saturday, June 16, 2012

तू पूरा जादूगर है डाकिया

रंग-बिरंगे खतों को झोले से
निकाल कर देता है
तू पूरा जादूगर है डाकिया

तू जानता है तेरी
जरा सी लापरवाही
रिश्तों को तोड़ सकती है
मुद्दतों तक किसी का खत
तेरे झोले से नहीं निकलना
तू उसकी मौत
की आहट जान
लेता है डाकिया

मैं जानता हूं जबसे
मोबाइल चल गया है
बहुत से घरों में तेरा
आना-जाना छुट गया है
उस छुटी हुई जगह में
यादों की पुट्टी भरी दुई

डाकिया
तूने प्रेम पत्रों को
परिणय के बंधन तक
पहुँचते देखा है
तू बहुत सी प्रेम गाथाओं
का मौन गवाह है
ईक दूत के रुप में
तेरी भूमिका किसी
महानायक से कम तो नही
माना कि खुशखबरी लाने पर
किसी ने राजाओं की तरह
अपने गले का हार तुझे तोड़
कर नहीं दिया पर वो एहसान मंद हो
ये एहसान भी कम तो नहीं

डाकिया
शहर फैलते जा रहे है
झोले खाली ही रहते है
लोग खत से हाल चाल
नहीं लेते
बदलते वक्त की चाल से
डाकिया हार ना जाये
वो हारा तो कई जिंदगी
भी हार सकती है
तू नहीं बल्कि ईक पूरा
इतिहास हार जायेगा
वो भी उन चंद पूंजीपति
टेलीकाम कंपनियों से
जिनका खुद का कोई
इतिहास नहीं।

इस इतिहास को बचाने के लिए
कुछ खत लिखो
खत तुम्हें भी ऐतिहासिक
बनाते हैं
वो सम्बंधों के मौन गवाह है
खत किसी भी प्रलोभन में
अपने बयान नहीं बदलेगे
वो हवा से उड़के
तुम्हारे पैरो में गिर भी जाये
तो भी गर्व से भरे ही रहेंगे
उन्हें तुमनतमस्तकसमझने की
भूल मत करना !!

--आलोक तिवारी
रत्ना निवास, पाठक वार्ड, कटनी (मध्य प्रदेश)

Friday, June 8, 2012

कैसे बना कबूतर डाकिया?

पुराने समय में ही नहीं, बल्कि 19 वीं सदी की शुरुआत में होने वाले पहले विश्वयुद्ध तक कबूतर से संदेश भेजा जाता था। कबूतरों में भी होमिंग प्रजाति इसके लिए विशेष रूप से जानी जाती थी। होमिंग प्रजाति के कबूतरों की विशेषता थी कि वे उन्हें एक जगह से अगर किसी जगह के लिए भेजा जाता तो वे अपना काम करने के बाद वापस लौटकर अपनी जगह आते थे। इससे संदेश पहुंच जाने की पुष्टि भी हो जाती थी।

बताया जाता है कि होमिंग प्रजाति के कबूतर अपनी जगह से 1600 किमी आगे उड़कर जाने पर भी रास्ता भटके बिना वापस लौट आते थे। उनके उड़ने की रफ्तार भी 60 मील प्रति घंटा होती थी, जोकि संदेश एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने के लिए पर्याप्त थी।

पक्षी-विज्ञानी बताते हैं कि ये कबूतर सूर्य की दिशा, गंध और पृथ्वी के चुम्बकत्व से वापस लौटने की दिशा तय करते थे। टेलीग्राफ, टेलीफोन और संदेश पहुंचाने की नई व्यवस्थाओं के साथ कबूतर संदेश भेजना खत्म हो गया।

Tuesday, June 5, 2012

डाकिया का आगमन

अब कम ही दिखाई देता है डाकिया
जो रोज-रोज आता था घंटी बजाता था
ढेरों चिट्ठियां बिखेर जाता था
घर-आंगन में अब कम ही दिखाई
देता है डाकिया

उसका आगमन हमारे अरमानों,
खुशियों का आगमन था
उसका आगमन दोस्त-रिश्तेदारों की
खबरों का आगमन था,
उसका आगमन बिटिया की चिट्ठी
उसके सुख-दुख की खबर होती थी,
उसका आगमन बेटे की चिट्ठी होती थी
जो दूर शहर में पढ़ता था
उसका आगमन मां-बाबा की
खुशियों का आगमन था
जो बेटे-बेटियों की चिट्ठियों से
खुश हो लेते थे
उसका आगमन भाई-बहन का
प्यार होता था
उसका आगमन बेटे की नौकरी
लगने की खबर होती थी
उसका आगमन होती थी
होली, दिवाली, ईद की शुभकामनाएं
पर अब कम ही दिखाई देता है
डाकिया

मेरी उम्र के साथ बुढ़ा गया लगता है
डाकिया
बुढ़ा गई लगती हैं भावनाएं-संवेदनाएं
तभी तो अब कम ही दिखाई देता है
डाकिया
बारिश की फुहार की तरह
आज भी जब कभी कर जाता है
डाकिया

चिट्ठी-पत्री की फुहार घर-आंगन में
तो माटी की सौंधी गंध घुल जाती है
वातावरण में हो जाता है तरोताज़ा तन-मन
अब कम ही दिखाई देता है
डाकिया
जो रोज-रोज आता था घंटी बजाता था
ढेरों चिट्ठियां बिखेर जाता था
घर-आंगन में।

साभार

Saturday, June 2, 2012

डाक-टिकट पर आपकी खूबसूरत तस्वीर : माई स्टैम्प


भारतीय डाक विभाग डाक-टिकटों के क्षेत्र में नित नए और अनूठे प्रयोग कर रहा है. पिछले वर्षों में जहाँ चन्दन, गुलाब व जूही की सुगंध से सुवासित खुशबूदार डाक-टिकट और हालमार्क के साथ मिलकर सोने के डाक टिकट जारी किये गए, वहीँ अब 'माई स्टांप' या 'पर्सनालाईजड स्टैम्प' के साथ डाक-टिकट पर कोई व्यक्ति अपनी भी तस्वीर लगा सकता है. फ़िलहाल ये 17 डाक-टिकटों के साथ उपलब्ध हैं. इनमें ताजमहल, पंचतंत्र, एयरो फ्लाईट, स्टीम इंजन, वाइल्ड लाइफ डाक-टिकटों के साथ 12 राशियों के डाक टिकट भी उपलब्ध हैं.

दुनिया के कई देशों में 'माई स्टाम्प' सुविधा पहले से ही लागू है, पर भारत में पहली बार इसे भारतीय डाक विभाग द्वारा वर्ष 2000 में कोलकाता में 'इंदिपेक्स एशियाना' के आयोजन के दौरान जारी किया गया था. पर उस समय यह उतनी लोकप्रिय न हो सकी. पिछले वर्ष नई दिल्ली में विश्व डाक टिकट प्रदर्शनी (12-18 फरवरी 2011 ) के आयोजन के दौरान इसे पुन: लांच किया गया और लोगों ने इसे हाथों-हाथ लिया. नतीजन देखते ही देखते हजारों लोगों ने डाक टिकटों के साथ अपनी तस्वीर लगाकर इसका लुत्फ़ उठाया. उत्तर प्रदेश में 17 -19 दिसंबर, 2011 के दौरान लखनऊ में आयोजित राज्य स्तरीय डाक टिकट प्रदर्शनी में इसे जारी किया गया और अभी तक अकेले उत्तर प्रदेश में लगभग 5000 लोग इसे जारी करा चुके हैं, जिनमें से अधिकतर लोगों ने ताजमहल के साथ अपनी तस्वीर लगवानी पसंद की.

इस सेवा का लाभ उठाने के लिए अपने शहर में स्थित फिलाटेलिक ब्यूरो में पंजीकरण कराना होता है. एक फार्म भरकर उसके साथ अपनी फोटो और 300 /-जमा करने होते हैं. एक शीट में कुल 12 डाक-टिकटों के साथ फोटो लगाई जा सकती है. इसके लिए आप अपनी अच्छी तस्वीर डाक विभाग को दे सकते हैं, जो उसे स्कैन करके आपका खूबसूरत 'माई स्टांप' बना देगा. यदि कोई तत्काल भी फोटो खिंचवाना चाहे तो उसके लिए भी प्रबंध किया गया है. 'माई स्टैम्प' को ही 'पर्सनालाईजड स्टैम्प' भी कहा जाता है. इस पर सिर्फ जीवित व्यक्तियों की ही तस्वीर लगाई जा सकती है. सम्बंधित व्यक्ति को फिलाटेलिक ब्यूरो में व्यक्तिगत रूप से जाना पड़ता है, यदि किसी कारणवश न जा सके तो सम्बंधित संदेशवाहक से अपना फोटो युक्त परिचय पत्र भेजना पड़ता है.

तो अब देर किस बात की, किसी को उपहार देने का इससे नायब तरीका शायद ही हो. इसके लिए जेब भी ज्यादा नहीं ढीली करनी पड़ेगी, मात्र 300 रूपये में 12 डाक-टिकटों के साथ आपकी खूबसूरत तस्वीर. अब आप इसे चाहें अपने परिवारजनों को दें, मित्रों को या फिर अपने प्रेमी-प्रेमिका को. डाक-टिकट पर आप अपनों की तस्वीर भी छपवा कर उसे भेज सकते हैं. मतलब, आप किसी से बेशुमार प्यार करते हैं, तो इस प्यार को बेशुमार दिखाने का भी मौका है. पांच रुपए के डाक-टिकट, जिस पर आपकी तस्वीर होगी, वह देशभर में कहीं भी भेजी जा सकती है.

'माई स्टाम्प' पर सिर्फ आप अपनी तस्वीर ही नहीं देखते, बल्कि वक़्त की नजाकत के अनुसार इसे विभिन्न डाक-टिकटों के साथ देख सकते हैं. मसलन, प्रेम को दर्शाने के लिए ताजमहल, बच्चों के लिए पञ्चतंत्र, एडवेंचर के लिए वाइल्ड लाइफ से जुड़ा डाक टिकट या फिर एयरो फ्लाईट और स्टीम इंजन. यही नहीं अपनी राशि के अनुरूप भी डाक-टिकट पसंद कर उस पर अपनी फोटो लगवा सकते हैं!!

           (चित्र में : माई स्टैम्प के तहत ताजमहल के साथ कृष्ण कुमार यादव की तस्वीर)


- कृष्ण कुमार यादव
निदेशक डाक सेवाएँ, इलाहबाद परिक्षेत्र, इलाहबाद-211001

एक मूक और बधिर डाकिया की कहानी

उत्तर-पूर्वी चीन के ल्याओ निन्ग प्रांत के पहाड़ क्षेत्र में एक मूक और बधिर डाकिया है, वह नहीं सुन सकता और नहीं कह सकता, हर दिन वह अकेला मोटरसाइकिल चलाकर पहाड़ क्षेत्र के पांच हजार से अधिक परिवारों को पत्र,अखबर और पार्सल भेजता है, प्रति साल में वह 25 हज़ार कि.मी.का रास्ता चलता है।

ह्वांग वेई हर दिन लोन्ग थान कस्बे के लोगों को सेवा देता है। लोन्ग थान कस्बे में 120 से अधिक गांव हैं, ये गांव 300 से अधिक वर्ग किलोमीटर में स्थित हैं, बीते दस से अधिक सालों में ह्वांग वेई इस कस्बे में एकमात्र डाकिया है।

इस मूक और बधिर डाकिया का नाम है ह्वांग वेई, 37 साल की उम्र है। गांव में रहने वाली सुश्री वांग को अखबार चाहिए, इसलिए ह्वांग वेई सुश्री वांग का स्थाई अतिथि बन गया है। सुश्री वांग ने कहा- हर बार वह हमारे पत्रों को ला सकता है, ठीक समय पर।

लोन्ग थान कस्बे के 60 प्रतिशत की गांव पहाड़ों में स्थित हैं, दूसरे 30 से अधिक प्रतिशत की गांव हालांकि मार्ग से बहुत दूर नहीं है, लेकिन इस क्षेत्र में दसियों खान स्टेशन हैं, हर पत्र भेजने के लिए दस से अधिक कि.मी. की दूरी चलने की जरूरत है।

वर्ष 2000 के जरवरी में 26 साल की उम्र वाला ह्वांग वेई डाकिया बन गया है, उसे यह काम बहुत पसंद है, इसलिए वह मेहनत से काम करता है, लोन्ग थान कस्बा पोस्ट ब्यूरो के प्रधान मा श्याओ पो ने कहा:

ह्वांग वेई से पहले डाकिया ने पत्र को हर व्यक्ति को नहीं दिया, डाकिया ने सब पत्रों को गांव समिति के दफ़्तर में रखा, लेकिन ह्वांग वेई खुद पत्र को हर लोग को देता है।

पत्रों को भेजने के अलावा, डाकिया पार्सल भेजता है, पार्सल में ये शामिल हैं कि जीवन उत्पादन और कृषि उत्पादन, इसलिए कुछ समय ह्वांग वेई को भारी पार्सल भेजना है, एक साल के 365 दिनों में ह्वांग वेई काम करता है। इस के प्रति ह्वांग वेई की मां ने कहा

देखो, उस के पास दो बड़ा थैला हैं, जिन में धुलाई चूर्ण,अंगूर मदिरा,बाल द्रव,साबुन और कीटनाशकदवा भी है।

मूक और बधिर लोग के रुप में ह्वांग वेई को काम करते हुए अधिक कठिनाई तोड़ना है, ह्वांग वेई के पास अपना उपाय है, ह्वां वेई की मां ने कहा

वह कह नहीं सकता, नहीं बुला सकता, इसलिए काम करते हए ह्वांग वेई एक बाँसुरी का प्रयोग करता है, बाँसुरी की आवाज सुनकर लोगों को ह्वांग वेई आ रहा है मालूम है।

उपभोगताओं को अधिक सुविधा देने के लिए ह्वांग वेई एक विशेष मानचित्र लेता है, जिस में हर परिवार का पता,नाम और कैसे जाने की खबर रिखा जाता है।

पहाड़ों में रहने वालों के लिए पत्र एक प्रमुख बाहर विश्व के साथ संपर्क रकने वाला साधन है, पहाड़ों ने रहने वालों को पोस्ट स्टेशन के लिए विशेष भावना है। त्यौहारों के दौरान पहाड़ों के बाहर रहने वाले पहाड़ों में रहने वालों को पत्र भेजते हैं, इसलिए त्यौहार के दौरान ह्वांग वेई बहुत व्यस्त है। छ्यान चिन ज़ी गांव के श्यू श्यांग छै ने कहा: हमारी गांव में कई लोगों को समान नाम है, उदाहरण के लिए कई लोगों का नाम वांग श्वी है, और कई लोगों का नाम सून शी श्वै है, इसलिए ह्वांग वेई के काम के लिए बहुत कठिनाई है।

ह्वांग वेई संजीदगी से काम करता है, एक ग्रीष्म में ह्वांग वेई एक कंपनी को पत्र भेजने गया, लेकिन पत्र लेने वाला कंपनी में नहीं था,उस ने पत्र लेने वाले की प्रतीक्षा की। चीज़ भेजने के अलावा ह्वांग वेई किसान दोस्तों के लिए मौखिक पत्र भेजता है। छ्यान चिन ज़ी गांव में रहने वाले चाओ योन्ग बिन ने कहा:

ह्वांग वेई अकसर हमारे को मदद करता है, वह हमारे लिए वे चीज़ भेजता है जो हमें चाहिए।

बीते 12 सालों में ह्वांग वेई पत्र भेजने के लिए 2 लाख 50 हजार कि.मी.का मार्ग चला, और कुल 60 हज़ार पत्रों को भेजा है, पहाड़ों में रहने वाले ह्वांग वेई की प्रशंसा करते हैं।

साभार