Friday, May 3, 2013

'डाक टिकट' पर स्थान पाने वाली पहली हिंदी अभिनेत्री थीं नर्गिस दत्त



हिंदी सिनेमा जगत में फिल्म अभिनेत्रियों  में डाक टिकट पर सर्वप्रथम स्थान पाने का सम्मान नर्गिस दत्त को प्राप्त है ।30 दिसंबर, 1993 को अपने जमाने की मशहूर अभिनेत्री नर्गिस दत्त पर भारतीय डाक विभाग द्वारा 1 रुपये मूल्य का स्मारक डाक टिकट जारी किया गया। यही नहीं नर्गिस दत्त को  पद्मश्री से सम्मानित प्रथम हिंदी अभिनेत्री होने  का भी गौरव प्राप्त है।

1 जून, 1929 को ब्रिटिश अधीन भारत के कलकत्ता में जन्मी नर्गिस का वास्तविक नाम फातिमा राशिद था. नर्गिस की माता जद्दनबाई इलाहाबाद की रहने वाली एक शास्त्रीय संगीत गायिका थीं.  नर्गिस के पिता उत्तमचंद मोहनदास एक प्रतिष्ठित डॉक्टर थे. नर्गिस भी अपने पिता जी की तरह डाक्टर बनना चाहती थीं, पर उनकी मां उन्हें हिंदी फिल्मों की तरफ खींच लायीं।

बहुत छोटी उम्र में ही नर्गिस ने अपने फिल्मी सफर की शुरुआत कर ली थी. वर्ष 1935 में उन्होंने तलाश हक नाम की फिल्म में काम किया. इस फिल्म के बाद उन्हें बेबी नर्गिस के नाम से पहचान मिलने लग गई थी. पहली फिल्म के बाद नर्गिस के पास फिल्मों की लाइन लग गई थी. 1940-50 के समय में नर्गिस ने कई बड़ी हिंदी फिल्मों में काम किया जिनमें बरसात, अंदाज, आवारा, दीदार, श्री 420 और चोरी-चोरी आदि प्रमुख हैं. अपने फिल्मी कॅरियर में नर्गिस ने ज्यादातर राज कपूर और दिलीप कुमार के साथ काम किया.

वर्ष 1957 में प्रदर्शित महबूब खान की फिल्म 'मदर इंडिया', नर्गिस के जीवन में मील का पत्थर साबित हुई. इस फिल्म को ऑस्कर के लिए भी नामांकित किया गया. मदर इंडिया के लिए नर्गिस को फिल्म फेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार से भी नवाजा गया.

 नर्गिस दत्त ने राजकपूर के साथ मिलकर परदे पर प्रेम की एक नई परिभाषा दी। दोनों ने कुल सोलह फिल्मों में एक साथ काम किया और  भारत में ही नहीं विदेशों  में भी यह जोड़ी  काफी लोकप्रिय हुई। बाद में 1958 में नर्गिस दत्त ने सुनील दत्त से शादी कर ली और  न केवल आर0 के0 फिल्म्स को  बल्कि फिल्मी दुनिया को  ही अलविदा कर दिया। नर्गिस दत्त की कई बेहतरीन फिल्में आज भी रुचि के साथ पंसद की जाती हैं। दिवंगत अभिनेत्री नर्गिस दत्त और सुनील दत्त की प्रेम कहानी ने कई लोगों के लिए प्रेरणा का काम किया है। हिंदी फिल्म अभिनेता संजय दत्त और सांसद प्रिया दत्त और नम्रता दत्त  नर्गिस की संतान हैं। दत्त परिवार की बेटियों प्रिया और नम्रता दत्त द्वारा अपने माता-पिता की यादों पर आधारित पुस्तक ‘मिस्टर एंड मिसेज दत्त मेमॉयर ऑफ अवर पैरेंट्स’ काफी चर्चित भी रही है।

अभिनय के साथ-साथ नर्गिस ने अपने सामाजिक दायित्वों को भी बखूबी निभाया था. अपने पति सुनील दत्त के साथ नर्गिस ने अजंता आर्ट्स कल्चर ट्रूप का गठन किया जो भारतीय सैनिकों के मनोरंजन के लिए अपने शो करता था. नर्गिस ने मानसिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए भी काम किया. उन्होंने स्पेस्टिक्स सोसाइटी ऑफ इंडिया का निर्माण किया, जिसके बाद वह समाज सेविका के रूप में स्थापित हो गईं.

कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से एक लंबे समय तक जूझने के कारण वह कोमा में चली गईं. 3 मई, 1981 को मुंबई में नर्गिस का देहांत हो गया.

आज उनकी पुण्य तिथि और हिंदी सिनेमा के सौ साल पूरे  होने पर पुनीत स्मरण !!

1 comment:

vandana gupta said...

आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(4-5-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
सूचनार्थ!