Friday, December 4, 2015

अब पोस्टमैन सिखाएंगे ग्रामीण लोगों को बैंकिंग के गुर

भारतीय डाक विभाग ने नए जमाने की जरूरतों के अनुसार  कई बदलाव करने शुरू कर दिए हैं। जहां एक ओर डाक विभाग ने खुद को बैंकिंग सर्विस में बदल लिया है वहीं अब सरकार पोस्टमैन की भूमिका को बदलना चाह रही है। सरकार चाहती है कि अब पोस्टमैन गांव के लोगों में बैंकिंग सर्विसेज के इस्तेमाल से संबंधित जानकारी दें।

इसके तहत ’डाकघर को वित्तीय साक्षरता केंद्र में बदलने की योजना है। विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार हम साप्ताहिक साक्षरता शिविर आयोजित करेंगे और कुछ चुने हुए कर्मचारियों को वित्तीय साक्षरता पर बैंकों द्वारा विकसित कार्यक्रम का प्रशिक्षण दिया जाएगा।’ सरकार वित्तीय समावेश की नई रणनीति के तौर पर एक संगठित कार्यक्रम विकसित करने पर काम कर रही है। इसके तहत बैंक डाक विभाग की सेवा का इस्तेमाल करने के लिए शुल्क देगा।

भारतीय डाक को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा हाल ही में पेमेंट बैंक लाइसेंस के लिए सैद्धांतिक रूप से मंजूरी मिली है। अस्थायी तौर पर इसका नाम ’इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक’ रखा गया है, शुरू में इसके पास 300 करोड़ रुपए की पूंजी होगी। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि अब तक प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत 18.86 करोड़ खाते खुल गए हैं जिसमें करीब 25,700 करोड़ रुपए जमा हैं। इनमें से करीब 40 फीसदी खातों में 0 बैलेंस है। हम चाहते हैं कि उनमें बैंकिंग की आदत विकसित हो और उनकी क्रेडिट हिस्ट्री बने और अन्य सेवाओं का इस्तेमाल करें।’

No comments: