Thursday, October 27, 2016

सभ्यता, संस्कृति एवं विरासत के संवाहक हैं डाक टिकट - डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव

डाक टिकट किसी भी राष्ट्र की सभ्यता, संस्कृति एवं विरासत के संवाहक हैं, जिनके माध्यम से वहाँ के इतिहास, कला, विज्ञान, व्यक्तित्व, वनस्पति, जीव-जन्तु, राजनयिक सम्बन्ध एवं जनजीवन से जुडे़ विभिन्न पहलुओं की जानकारी मिलती है। हर डाक टिकट के पीछे एक कहानी छुपी हुई है और इस कहानी से आज की युवा पीढ़ी को जोड़ने की जरूरत है। उक्त उद्गार राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र, जोधपुर के निदेशक डाक सेवाएं श्री कृष्ण कुमार यादव ने डाक विभाग द्वारा राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, माउंट आबू (सिरोही), राजस्थान  में आयोजित दो दिवसीय डाक टिकट प्रदर्शनी 'आबूपेक्स-2016'  के  समापन समारोह में 25 अक्टूबर  2016 को बतौर मुख्य अतिथि अपने उद्बोधन में व्यक्त किये।  


डाक निदेशक श्री कृष्ण कुमार यादव  ने कहा कि डाक टिकट सिर्फ भौतिक दूरियों को ही नहीं नापता बल्कि आत्मीयता भी बढ़ाता है। छोटा सा कागज का टुकड़ा दिखने वाले डाक टिकट वक्त के साथ एक ऐसे अमूल्य दस्तावेज बन जाते हैं, जिनकी कीमत लाखों से करोड़ों रुपए में होती है। भारत में 1852 में जारी प्रथम डाक टिकट 'सिंदे टिकट' की कीमत आज 4 लाख से 35 लाख रुपए तक है तो दुनिया का सबसे महंगा डाक टिकट ब्रिटिश गुयाना द्वारा  सन् 1856 में जारी किया गया एक सेण्ट का डाक-टिकट है जो वर्ष 2014 में रिकॉर्ड 9.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर में बिका। श्री यादव ने कहा कि डाक टिकट वास्तव में एक नन्हा राजदूत है, जो विभिन्न देशों का भ्रमण करता है एवम् उन्हें अपनी सभ्यता, संस्कृति और विरासत से अवगत कराता है। यही कारण है कि ई-मेल और सोशल मीडिया के इस दौर में भी आज हाथों से लिखे पत्रों और डाक टिकटों की लाखों-करोड़ों में नीलामी होती है। 

 डाक निदेशक श्री कृष्ण कुमार यादव  ने प्रदर्शनी में राजस्थान के सर्वोच्च पर्वत शिखर 'गुरु शिखर' पर एक विशेष आवरण (लिफाफा) और विरूपण भी जारी किया। श्री यादव ने कहा कि आबू में स्थित 'गुरु शिखर'  राजस्थान ही नहीं, अरावली पर्वत श्रृंखला की सबसे ऊंची चोटी है। प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ एक धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक केंद्र के रूप में भी विख्यात माउण्ट आबू को राजस्थान का स्वर्ग माना जाता है। गुरु शिखर पर बना मंदिर भगवान विष्णु के अवतार दत्तात्रेय को समर्पित है तो यहाँ स्थित पीतल की घंटी जो माउंट आबू को देख रहे संतरी का आभास कराती है। स्वास्थ्यवर्धक जलवायु के साथ पौराणिक परिवेश से परिपूर्ण गुरु शिखर जीवन को नए अर्थ भी देता है। ऐसे में  5 रूपये मूल्य वर्ग में जारी इस विशेष आवरण को देश के तमाम प्रमुख फिलेटलिक ब्यूरो  में उपलब्ध कराया जायेगा।

 सिरोही  मंडल के  डाक अधीक्षक श्री  देवाराम पुरोहित  ने कहा कि इस प्रदर्शनी के माध्यम से सिरोही मंडल में डाक टिकट संग्रहकर्ताओं को नए आयाम मिले हैं। जिस तरह डाक टिकटों के क्षेत्र में नित अनूठे परिवर्तन हो रहे हैं, वह सराहनीय हैं।

 कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे श्री सुरेश थिंगर, सभापति नगर पालिका आबू ने कहा कि डाक विभाग भारत के सबसे पुराने विभागों में है और इस प्रकार की पहल फिलेटली को युवाओं के और नजदीक लाती है।  


 आबूपेक्स-2016  के समापन अवसर पर डाक टिकट प्रदर्शनी प्रतियोगिता के विजेताओं को निदेशक डाक सेवाएं श्री कृष्ण कुमार यादव द्वारा पुरस्कृत किया गया। इनमें  सीनियर सवंर्ग में  सर्वश्री वकार भाई, नारायण सिंह डाबी व अरविन्द शाह को क्रमश: प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त हुआ व जूनियर सवंर्ग में  सर्वश्री यशवंत रावल व कुशांक को क्रमश: प्रथम व द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ। स्कूली विद्यार्थियों  हेतु आयोजित पत्र लेखन प्रतियोगिता में सीनियर वर्ग में हवन दवे व निशांत माली एवम जूनियर वर्ग में रिन्जल पटेल व प्रांजल गौतम को क्रमश: प्रथम व द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ। डाक टिकट डिजाइन प्रतियोगिता में कक्षा 1-5 तक के वर्ग में समीर व  रावल सिंह,  कक्षा 6-8 तक के वर्ग में कृष्णा जयसिंह व नील पटेल को क्रमश: प्रथम व द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ। प्रश्नोतरी प्रतियोगिता में सीनियर वर्ग में स्नेह बारोठ व प्रह्लाद को क्रमश: प्रथम व द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ एवं जूनियर वर्ग में प्रांजल गौतम व अर्जित सिंह ने क्रमश: प्रथम व द्वितीय स्थान प्राप्त किया।




इस अवसर पर श्री जॉर्ज मैथ्यू, प्रधानाचार्य, सेंट जोसेफ स्कूल, आबू, ज्यूरी सदस्य  श्री जगत किशोर परिहार  व श्री आर.के. भूतड़ा, सहायक डाक अधीक्षक अक्खा राम, डाक निरीक्षक मुकेश कुमार, पारसमल सुथार, पोस्टमास्टर आबू जे.एल. माली, वी.के. दवे, जी.एस. मिश्र सहित तमाम फिलेट्लिस्ट, स्कूली विद्यार्थी और प्रबुद्धजन उपस्थित थे।


प्रदर्शनी के दौरान निदेशक डाक सेवाएं श्री कृष्ण कुमार यादव विभिन्न  स्कूली बच्चों से भी रूबरू हुये और एक हॉबी के रूप में डाक टिकट संग्रह  के अध्ययन पर ज़ोर दिया। उन्होने विद्यार्थियों और उनके अध्यापकों को फिलेटली से जुड़े प्रोजेक्ट्स भी अपनी कार्यशालाओं में शामिल करने की बात कही। माई स्टैम्प सेवा का लाभ उठाने हेतु भी उन्होंने बच्चों और युवाओं को प्रेरित किया।










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