सृजन एवं अभिव्यक्ति की दृष्टि से हिंदी दुनिया की अग्रणी भाषाओं में से एक है। हिन्दी सिर्फ एक भाषा ही नहीं बल्कि हम सबकी पहचान है, यह हर हिंदुस्तानी का हृदय है। हिन्दी को राष्ट्रभाषा किसी सत्ता ने नहीं बनाया, बल्कि भारतीय भाषाओं और बोलियों के बीच संपर्क भाषा के रूप में जनता ने इसे चुना। उक्त उद्गार लखनऊ (मुख्यालय) परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं और चर्चित साहित्यकार व ब्लॉगर श्री कृष्ण कुमार यादव ने पोस्टमास्टर जनरल, लखनऊ कार्यालय में हिंदी पखवाड़ा पर आयोजित संगोष्ठी का शुभारम्भ करते हुए कहीं।
डाक निदेशक श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि हिंदी सदैव से ही गतिशील एवं ग्रहणशील भाषा रही है। इसीलिए भारत के संविधान में हिंदी को देश की सामासिक संस्कृति की अभिव्यक्ति का माध्यम बनाने की परिकल्पना की गई। हिंदी को आधुनिक भाषा के रूप में पूरी तरह समर्थ बनाना हम सबका युगीन दायित्व है।
निदेशक डाक सेवाएं श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि हिन्दी में विश्व भाषा बनने की क्षमता है। हिन्दी आज सिर्फ साहित्य और बोलचाल की ही भाषा नहीं, बल्कि विज्ञान-प्रौद्योगिकी से लेकर संचार-क्रांति और सूचना-प्रौद्योगिकी से लेकरव्यापार की भाषा भी बनने की ओर अग्रसर है। श्री यादव ने कहा कि डिजिटल क्रान्ति के इस युग में वेबसाइट्स, ब्लॉग और फेसबुक व टविटर जैसे सोशल मीडिया ने तो हिन्दी का दायरा और भी बढ़ा दिया है। विश्व भर में हिन्दी बोलने वाले 50 करोड़ तो इसे समझने वालों की संख्या 80 करोड़ है। विश्व के लगभग 150 विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जाती है, जो कि हिन्दी की बढ़ती लोकप्रियता का परिचायक है।
सहायक निदेशक राजभाषा आर. एन. यादव ने कहा कि संविधान में वर्णित सभी प्रांतीय भाषाओं का पूर्ण आदर करते हुए इस विशाल बहुभाषी राष्ट्र को एक सूत्र में बांधने में भी हिन्दी की एक महत्वपूर्ण भूमिका है। ऐसे में हिन्दी भाषा के प्रयोग पर हमें गर्व महसूस करना चाहिए। सहायक निदेशक एम. एम. हुसैन ने कहा कि हिंदी पूरे देश को जोड़ने वाली भाषा है और सरकारी कामकाज में भी इसे बहुतायत में अपनाया जाना चाहिये।
कार्यक्रम में सहायक डाक अधीक्षक उमेश कुमार, सहायक डाक अधीक्षक संदीप चौरसिया, डाक निरीक्षक प्रियम गुप्ता, सहायक लेखा अधिकारी नवीन पाण्डेय, आरके वर्मा, राम खेलावन, डाक सहायक रामचंद्र यादव, आनंद कुमार, अनामिका सिंह, पूजा पांडेय, आकांक्षा शर्मा, अखंड प्रताप सिंह, विजय कुमार सहित तमाम विभागीय अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे।
हिन्दी में विश्व भाषा बनने की क्षमता
दुनिया की अग्रणी भाषाओं में से एक है हिंदी
सृजन एवं अभिव्यक्ति की दृष्टि से हिंदी दुनिया की अग्रणी भाषाओं में -डाक निदेशक केके यादव
हिन्दी सिर्फ भाषा नहीं, हमारी पहचान भी है
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