डाक विभाग आम जन से जुड़ा हुआ है, ऐसे में गणतंत्र में इसकी भूमिका और भी अहम हो जाती है। 73वें गणतंत्र दिवस परेड में राजपथ पर विभिन्न राज्यों और सरकारी मंत्रालयों/विभागों की निकली झाँकियों (Tableau) में भारतीय डाक विभाग की झाँकी भी रही। इस झांकी का विषय “भारतीय डाक : संकल्प @75 - महिला सशक्तीकरण” रखा गया है। डाक विभाग की झांकी में भारतीय डाक की मजबूत पहुंच और आधुनिक रूप को प्रदर्शित किया। साथ ही इसमें लैंगिक समानता की दिशा में उठाए गए कदमों को प्रदर्शित करने के लिए महिला डाकघरों को भी दर्शाया गया।
डाक विभाग को गणतंत्र दिवस परेड में अपनी झांकी निकालने का अवसर 17 साल बाद प्राप्त हुआ है। इससे पहले डाक विभाग के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर 2005 में डाक विभाग ने अपनी झांकी निकाली थी। तब से अब तक डाक विभाग का चेहरा-मोहरा काफी बदल चुका है। न सिर्फ डाक विभाग ने अपनी सेवाओं में काफी विस्तार किया है, बल्कि कोरोना काल में तो ग्रामीण डाक सेवकों के जरिए ‘डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर’ योजनाओं के पैसे ग्रामीणों तक पहुंचाकर संकटकाल में उनका सबसे अच्छा साथी भी सिद्ध हुआ है।
आज जब देश अपनी स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तो इस कड़ी में भारतीय डाक गणतंत्र दिवस की अपनी झांकी के माध्यम से महिला सशक्तीकरण व तकनीक के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करता नजर आया। इस झांकी के जरिए केवल महिला कार्मिकों द्वारा कंप्यूटर व डिजिटल सुविधाओं से संचालित डाकघरों के माध्यम से यह दिखाने की कोशिश की गई है कि विभाग किस प्रकार महिला सशक्तीकरण पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। महिला डाकघरों में महिला कर्मचारियों को पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सेवा प्रदान करते हुए दिखाया गया। इसी के प्रतीक स्वरूप झांकी के अग्रभाग में एक महिला पोस्टमैन की प्रतिमा थी, जिसके एक हाथ में डिजिटल डिवाइस तो दूसरे हाथ में पोस्टमैन की पहचान उसका थैला था। यह प्रौद्योगिकी के साथ परंपरा के मेल को दर्शाता है। साथ ही, रैंप के माध्यम से दर्शाए गए ‘दिव्यांगजनों के लिए अनुकूल डाकघर’ भी विभाग की सामाजिक प्रतिबद्धता को दोहराते दिखाई दिए।
महिला पोस्टमैन के साथ ही हरकारे की उभरी हुई आकृति भी दर्शाई गई, जो पिछले कई दशकों के दौरान भारतीय डाक में हुए कायाकल्प का प्रतीक है। इन दोनों चित्रों को सबके जाने-पहचाने लेटर बाक्स के आगे दर्शाया गया। झांकी के मध्य भाग में श्रीनगर का तैरता (फ्लोटिंग) डाकघर दिखाया गया। इसके माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान के अंतर्गत शुरू की गई ‘सुकन्या समृद्धि योजना’ पर बल दिया गया । गौरतलब है कि इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के मामले में लगभग 50 प्रतिशत खाताधारक (2.24 करोड़) महिलाएं हैं, और ऐसे 98 प्रतिशत खाते उनके द्वार पर जाकर ही खोले गए हैं। झांकी के पिछले भाग में देश के सबसे पुराने जीपीओ, कोलकाता जीपीओ को दर्शाया गया, जोकि भारतीय डाक के गौरवशाली सफर का गवाह है, साथ ही देश की एक सुप्रसिद्ध इमारत भी है।