प्रगतिशील गठबंधन की अध्यक्ष और राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की मुखिया श्रीमती सोनिया गांधी को उनकी इलाहाबाद यात्रा के दौरान 25 नवंबर 2010 को वरिष्ठ पत्रकार और रेल मंत्रालय में परामर्शदाता अरविंद कुमार सिंह ने अपनी हाल में प्रकाशित पुस्तक डाक टिकटों में भारत दर्शन की प्रथम प्रति भेंट की। इस अवसर पर उन्होंने श्रीमती सोनिया गांधी को यह भी जानकारी दी कि राष्ट्रीय स्वाधीनता आंदोलन में शामिल रहे सेनानियों तथा कांग्रेस के 278 नेताओं पर अब तक भारत में डाक टिकट जारी हो चुके हैं। पर इन सभी डाक टिकटों में पंडित जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद जारी डाक टिकट सबसे महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक माना जाता है जो इलाहाबाद में ही उ.प्र. की तत्कालीन मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी ने 12 जून 1964 को जारी किया था। यह डाक टिकट दो करोड़ की संख्या में छपा था और दुनिया के तमाम हिस्सों में लोकप्रिय रहा था। आज तक किसी भी व्यक्तित्व पर इतनी बड़ी संख्या में डाक टिकट नहीं जारी हुए।
श्री सिंह की यह पुस्तक नेशनल बुक ट्रस्ट इंडिया (भारत सरकार) द्वारा प्रकाशित की गयी है और इसमें डाक टिकटों से संबंधित सभी पक्षों पर महत्वपूर्ण जानकारियां देने के साथ देश के सभी प्रमुख फिलैटलिस्ट, फिलैटली संस्थाओं आदि का भी विवरण दिया गया है। इसके अलावा उनकी एक और पुस्तक भारतीय डाक भी नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा हिंदी में प्रकाशित की गयी है जिसका उर्दू, अंग्रेजी तथा असमिया भाषा में प्रकाशन किया जा चुका है और इसका एक खंड एनसीईआरटी द्वारा आठवीं कक्षा के हिंदी पाठ्यक्रम वसंत भाग-3 में भी शामिल किया गया है।
श्री सिंह ने इलाहाबाद में जनसत्ता के संवाददाता के रूप में अपना कैरियर 1983 में शुरू किया था और 1986 के बाद दिल्ली में चौथी दुनिया, अमर उजाला में लंबे समय तक कार्य करने के बाद हरिभूमि के दिल्ली संस्करण के संपादक समेत कई पदों पर कार्य किया। राष्ट्रपति तथा अकादमी पुरस्कार समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित श्री सिंह संप्रति रेल मंत्रालय में परामर्शदाता हैं।
साभार : हिन्दीलोक
श्री सिंह की यह पुस्तक नेशनल बुक ट्रस्ट इंडिया (भारत सरकार) द्वारा प्रकाशित की गयी है और इसमें डाक टिकटों से संबंधित सभी पक्षों पर महत्वपूर्ण जानकारियां देने के साथ देश के सभी प्रमुख फिलैटलिस्ट, फिलैटली संस्थाओं आदि का भी विवरण दिया गया है। इसके अलावा उनकी एक और पुस्तक भारतीय डाक भी नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा हिंदी में प्रकाशित की गयी है जिसका उर्दू, अंग्रेजी तथा असमिया भाषा में प्रकाशन किया जा चुका है और इसका एक खंड एनसीईआरटी द्वारा आठवीं कक्षा के हिंदी पाठ्यक्रम वसंत भाग-3 में भी शामिल किया गया है।
श्री सिंह ने इलाहाबाद में जनसत्ता के संवाददाता के रूप में अपना कैरियर 1983 में शुरू किया था और 1986 के बाद दिल्ली में चौथी दुनिया, अमर उजाला में लंबे समय तक कार्य करने के बाद हरिभूमि के दिल्ली संस्करण के संपादक समेत कई पदों पर कार्य किया। राष्ट्रपति तथा अकादमी पुरस्कार समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित श्री सिंह संप्रति रेल मंत्रालय में परामर्शदाता हैं।
साभार : हिन्दीलोक
11 comments:
महत्वपूर्ण पुस्तक...इसे खरीदने की कोशिओश करूँगा.
अरविन्द सिंह जी की यह पुस्तक तो वाकई रोचक लग रही है.
अरविन्द सिंह जी की यह पुस्तक तो वाकई रोचक लग रही है.
ye bharat darshan hai ya cangresh darshan?...in dino net ki prob our bizi hone ki vajah se net se dur hai per dil ke kareeb hai...pranam
बढि़या जानकारी, पुस्तक जरूर पठनीय होगी.
अरविन्द सिंह जी अच्छा कार्य कर रहे हैं...बधाई. रेलवे और डाक दोनों पर अच्छी पकड़ है.
अरविन्द सिंह जी अच्छा कार्य कर रहे हैं...बधाई. रेलवे और डाक दोनों पर अच्छी पकड़ है.
श्री सिंह की यह पुस्तक नेशनल बुक ट्रस्ट इंडिया (भारत सरकार) द्वारा प्रकाशित की गयी है और इसमें डाक टिकटों से संबंधित सभी पक्षों पर महत्वपूर्ण जानकारियां देने के साथ देश के सभी प्रमुख फिलैटलिस्ट, फिलैटली संस्थाओं आदि का भी विवरण दिया गया है।
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वाकई शोधपरक और ज्ञानवर्धक...चूँकि डाक विभाग से जुड़ा हूँ, अत: ऐसे कार्य आकृष्ट करते हैं. अरविन्द सिंह को शत-शत बधाई.
बहुत सुन्दर जानकारी मिली...आभार.
राष्ट्रीय स्वाधीनता आंदोलन में शामिल रहे सेनानियों तथा कांग्रेस के 278 नेताओं पर अब तक भारत में डाक टिकट जारी हो चुके हैं। ...आखिरकार ज्यादातर वही सत्ता में भी तो रहे हैं.
अरविन्द सिंह जी को इस पुस्तक के लिए बधाइयाँ.
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