डाक विभाग द्वारा दो दिवसीय ’’इलाहाबाद डाक टिकट प्रदर्शनी’’ इलाफिलेक्स-2015 का उद्घाटन 9 जनवरी 2015 को उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के महात्मा गाँधी कला वीथिका में किया गया। प्रदर्शनी का उद्घाटन द्वीप प्रज्वलित कर और फीता काटकर, डाक सेवा बोर्ड, नई दिल्ली के पूर्व सदस्य एवं चर्चित समालोचक पद्मश्री शम्शुर्रह्मान फारूकी द्वारा पोस्टमास्टर जनरल कर्नल एस एफ रिजवी और निदेशक डाक सेवाएँ श्री कृष्ण कुमार यादव के संग किया गया। इस अवसर पर गंगा-यमुना-सरस्वती संगम एवं प्रधान डाकघर इलाहाबाद पर विशेष आवरण का विमोचन किया गया। इन विशेष आवरणों को विशेष चित्रात्मक मुहरों से कैंसिल किया गया।
इस प्रदर्शनी में शहर के फिलेटलिस्टों द्वारा तमाम डाक टिकटों की प्रदर्शनी लगायी गयी। कुल 60 फ्रेमों में हजारों की संख्या में डाक-टिकट प्रदर्शित किए गये। इनमें इलाहाबाद से संबंधित विषयों पर जारी डाक-टिकट, डाक-टिकटों में सिनेमा, राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी, रविंद्रनाथ टैगोर, नेहरु परिवार पर जारी डाक टिकट, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर जारी डाक टिकट, जैन धर्म विषयक डाक टिकट, मस्जिदों पर जारी डाक-टिकट से लेकर से लेकर जैव विविधता, रोटरी, रेड क्रास और एड्स, मलेरिया इत्यादि के विरूद्ध जागरूक करते तमाम रंग-बिरंगे डाक-टिकट प्रदर्शित किये गये। इनमें सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेशों द्वारा जारी दुर्लभ डाक-टिकट व डाक-स्टेशनरी भी शामिल थे। प्रदर्शनी में वरिष्ठ फिलेटलिस्टों के अलावा तमाम बच्चों ने भी अपने डाक-टिकटों का प्रदर्शन किया। गौरतलब है कि इलाहाबाद में 2 वर्ष बाद इस तरह की प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। इससे पूर्व वर्ष 2013 में डाक टिकट प्रदर्शनी आयोजित हुयी थी।
प्रदर्शनी के उद्घाटन पश्चात् आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि पद्मश्री शम्शुर्रहमान फारूकी ने कहा कि डाक टिकटों और चिटिठ्यों का संवदेना से गहरा रिश्ता है। उन्होंने साहित्य जगत और चिटिठ्यों से जुड़े हुए तमाम संस्मरण सुनाते हुए कहा कि चिट्ठियांँ कभी भी खत्म नहीं होंगी। हाथ से लिखने और फिर उस पर डाक टिकट लगाकर भेजने में जो सुख है वह फोन, मेल और सोशल मीडिया में नहीं। डाक टिकट और पत्र कभी भी पुराने नहीं होते, बल्कि उनकी कीमत दिनों-ब-दिन बढ़ती जाती है, यही कारण है कि आज भी हाथों से लिखे खत और डाक टिकटों की लाखों-करोड़ों में नीलामी होती है।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में पोस्टमास्टर जनरल कर्नल एस. एफ. रिजवी ने कहा कि डाक टिकट संग्रह के शौक को आज के दौर में देश के युवावर्ग एवं बच्चों तक ले जाने की जरूरत है। इस दौरान उन्होंने उपस्थित सभी लोगों से इस कार्य में सक्रिय सहभागिता का भी आह्वान किया। माई स्टैम्प सेवा के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने इससे लोगों को जोड़ने की अपील की।
इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवायें कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि डाक टिकट एक छोटा सा कागज का टुकड़ा दिखता है, पर इसका महत्व और कीमत दोनों ही इससे काफी ज्यादा है। डाक टिकट वास्तव में एक नन्हा राजदूत है, जो विभिन्न देशों का भ्रमण करता है एवम् उन्हें अपनी सभ्यता, संस्कृति और विरासत से अवगत कराता है। श्री यादव ने महात्मा गाँधी के भारत लौटने की 100वीं वर्षगाँंठ की चर्चा करते हुए कहा कि इलाफिलेक्स-2015 में गाँधी से जुड़े तमाम डाक टिकटों को स्थान देकर वैश्विक स्तर पर उनकी प्रासंगिकता को पुनः रेखांकित किया गया है। उन्होंने कहा कि दुनिया में प्रायः हर देश ने गाँधीजी पर डाक टिकट जारी किये हैं और भारत में डाक टिकटों पर सर्वाधिक बार अंकित होने का श्रेय भी महात्मा गाँधी को ही है। उन्होंने कहा कि आज की फिलेटली की उन्नत अवधारणा भी यही है कि डाक टिकटों का विधिवत अध्ययन हो, इनकी सार्थक समीक्षा हो एवं इनके विश्लेषण से प्राप्त निष्कर्षों का इनके समसामयिक विश्व के सामाजिक-सांस्कृतिक-राजनैतिक परिदृश्य में प्रासंगिक व्याख्या हो।
इस अवसर पर डाक विभाग की बहुप्रतीक्षित माई स्टैम्प सेवा का भी शुभांरभ किया गया। युवाओं में इसके तहत काफी उत्साह देखा गया। पद्मश्री शम्शुर्रह्मान फारूकी को निदेशक डाक सेवाएं श्री कृष्ण कुमार यादव ने उनके फोटो वाली डाक टिकट भेंट की, जिस पर श्री फारूकी ने उपस्थित लोगों से अधिकाधिक इस सेवा का लाभ उठाने का आह्वान किया। पोस्टमास्टर जनरल कर्नल एस. एफ. रिजवी ने श्री फारूकी को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया। इस अवसर पर बच्चों हेतु ’पत्र लेखन’ व ’डिजाइन ए स्टैम्प’ प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। बच्चों ने जहाँ डाक टिकट प्रदर्शनी का आनंद लिया, वहीं फिलेटलिक डिपाजिट एकाउण्ट भी खोले गये।
कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत प्रवर डाक अधीक्षक श्री रहमतुल्लाह एवं आभार ज्ञापन सहायक निदेशक श्री मधुसूदन मिश्र ने किया। कार्यक्रम का संचालन श्री ए.के. सिंह ने किया। इस अवसर पर सीनियर पोस्टमास्टर आर.एन.यादव, सहायक निदेशक टीबी सिंह, ज्यूरी सदस्य श्री अनिल रस्तोगी व श्री दिनेश चंद्र शर्मा, डाॅ मनीषी बंसल सहित डाक विभाग के तमाम अधिकारी-कर्मचारी, फिलेटिलिस्ट एवं विभिन्न स्कूलों से आये बच्चे व उनके अभिभावक व अध्यापक इत्यादि उपस्थित रहें।
प्रधान डाकघर, इलाहाबाद पर जारी विशेष आवरण । 9 जनवरी, 2015 को जारी इस विशेष आवरण पर ब्रिटिश काल के दौरान निर्मित प्रधान डाकघर की पुरानी बिल्डिंग प्रदर्शित है, जिस के शीर्ष पर ब्रिटिश शासन का प्रतीक रॉयल कोट ऑफ आर्म्स अंकित है। फ़िलहाल इसे फिलेटलिक ब्यूरो में संरक्षित करके प्रदर्शित किया गया है। इस पर विरूपण रूप में प्रधान डाकघर, इलाहाबाद में ही स्थित 1872 में निर्मित हेक्साजोनल पेनफोल्ड पिलर लेटर बॉक्स का चित्र अंकित किया गया है।
अब संगम भी दिखेगा विशेष लिफाफे पर :इलाहबाद में गंगा-यमुना-अदृश्य सरस्वती के संगम की महिमा अपरम्पार है। ”इलाफिलेक्स-2015” के दौरान 9 जनवरी, 2015 को इस पर भी विशेष आवरण और विरूपण जारी किया गया।
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