Thursday, September 24, 2015

हिंदी पखवाड़ा के तहत डाक विभाग में हुई कविता प्रतियोगिता


हिंदी पखवाड़ा के तहत डाक विभाग द्वारा जोधपुर में 23 सितंबर, 2015 को पोस्टमास्टर जनरल कार्यालय के सभा कक्ष में कविता प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र, जोधपुर के निदेशक डाक सेवाएँ कृष्ण कुमार यादव ने अपने उद्बोधन में कहा कि कविता हमारे जीवन मूल्यों का प्रतिबिम्ब है। कविता आत्मा का मौलिक व विशिष्ट संगीत है, जो मानव में संस्कार रोपती हैै।  एक ऐसा संस्कार जो सभी को प्रदत्त है पर जरूरत है उसके खोजे जाने, महसूस करने और गढ़ने की। यही कारण है कि सम्वेदनाओं  का प्रस्फुटन होते ही कविता स्वतः फूट पड़ती है। हिंदी साहित्यकार एवं कवि  के रूप में भी चर्चित श्री यादव ने कहा कि काव्य-सृजन निरा कला कर्म या बौद्विक कवायद भर नहीं है बल्कि यह अपने भीतर एक और बड़ी लेकिन समानांतर दुनिया को समाए हुए है। कविता स्वयं की व्याख्या भी करती है एवं बहुत कुछ अनकहा भी छोड़ देती है। इस अनकहे को ढूँढ़ने की अभिलाषा ही एक कवि-मन को अन्य से अलग करती है।  



कार्यक्रम के दौरान डाक विभाग के तमाम प्रतिभागियों ने अपनी रचनाएं पेश कीं। इनमें सहायक डाक अधीक्षक पुखराज राठौड़, अनिल कौशिक, डाक निरीक्षक राजेंद्र भाटी, विनोद कुमार पुरोहित, रमेश चन्द्र गुर्जर, नरेंद्र कुमार वर्मा इत्यादि ने हिंदी में कवितायेँ सुनाकर वाहवाही बटोरी। राजेंद्र भाटी ने कारगिल का शहीद कविता सुनाकर लोगों को भाव विभोर किया तो विनोद कुमार पुरोहित ने अध्यात्म पर याचना कविता सुनाई।  अनिल कौशिक ने पिता की भूमिका पर कविता सुनाकर भाव विह्वल किया तो पुखराज राठौड़ ने महाराणा प्रताप की गाथा को जीवंत किया। इस दौरान डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव ने अपनी एक कविता के माध्यम से कविता की भूमिका को भी रेखांकित किया -कविता है वेदना की अभिव्यक्ति/कविता है एक विचार/कविता है प्रकृति की सहचरीे/कविता है क्रान्ति की नजीर/कविता है शोषितों की आवाज/कविता है रसिकों का साज/कविता है सृष्टि और प्रलय का निर्माण/कविता है मोक्ष और निर्वाण/कभी यथार्थ, तो कभी कल्पना के आगोश में/कविता इस ब्रह्माण्ड से भी आगे है/शायद इसीलिए कहा गया है/जहाँ न पहुँचे रवि वहाँ पहुँचे कवि।

इस दौरान सहायक निदेशक (राजभाषा) कान सिंह राजपुरोहित ने कहा कि साहित्य में सबसे लोकप्रिय विधा कविता को ही माना जाता है क्योंकि कविता मनुष्य के कण्ठ में सहज ही समा जाती है। हमारे वेद, पुराण इत्यादि सभी काव्यमय रूप में ही लिखे गए हैं और अपनी गेयता के चलते स्वत: लोगों की जुबान पर चढ़ जाते हैं।

कार्यक्रम का संचालन डाक निरीक्षक सुदर्शन सामरिया और आभार-ज्ञापन राजेंद्र भाटी ने किया।  इस दौरान डाक विभाग के तमाम अधिकारी और कर्मचारीगण उपस्थित रहे।  


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