Tuesday, June 9, 2009

छपाई में त्रुटि पर हुए डाक टिकट हुए लाखों-करोड़ों के

कभी-कभी कुछ डाक टिकट डिजाइन में गड़बड़ी पाये जाने पर बाजार से वापस ले किये जाते हैं ,ऐसे में उन दुर्लभ डाक टिकटों को फिलेटलिस्ट मुँहमाँगी रकम पर खरीदने को तैयार होते हैं। भारत द्वारा 1854 में प्रथम डाक टिकट के सेट में जारी चार आने वाले लिथोग्राफ में एक शीट पर महारानी विक्टोरिया का सिर टिकटों में उल्टा छप गया, इस त्रुटि के चलते इसकी कीमत आज पाँच लाख रूपये से भी अधिक है। इस प्रकार के कुल चैदह-पन्द्रह त्रुटिपूर्ण डाक टिकट ही अब उपलब्ध हैं। इसी प्रकार स्वतन्त्रता के बाद सन् 1948 में महात्मा गाँधी पर डेढ़ आना, साढे़ तीन आना, बारह आना और दस रू0 के मूल्यों में जारी डाक टिकटों पर तत्कालीन गर्वनर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने गवर्नमेण्ट हाउस में सरकारी काम में प्रयुक्त करने हेतु ‘सर्विस’ शब्द छपवा दिया। इन आलोचनाओं के बाद कि किसी की स्मृति में जारी डाक टिकटों के ऊपर ‘सर्विस’ नहीं छापा जाता, उन टिकटों को तुरन्त नष्ट कर दिया गया। पर इन दो-तीन दिनों मे जारी सर्विस छपे चार डाक टिकटों के सेट का मूल्य आज तीन लाख रूपये से अधिक है। एक घटनाक्रम में ब्रिटेन के न्यू ब्रेंजविक राज्य के पोस्टमास्टर जनरल ने डाक टिकट पर स्वयं अपना चित्र छपवा दिया। ब्रिटेन में डाक टिकटों पर सिर्फ वहाँ के राजा और रानी के चित्र छपते हैं, ऐसे में तत्कालीन महारानी विक्टोरिया ने यह तथ्य संज्ञान में आते ही डाक टिकटों की छपाई रूकवा दी पर तब तक पचास डाक टिकट जारी होकर बिक चुके थे। फलस्वरूप दुर्लभता के चलते इन डाक टिकटों की कीमत आज लाखों में है। एक रोचक घटनाक्रम में सन् 1965 में एक सोलह वर्षीय किशोर ने गरीबी खत्म करने हेतु अमेरिका के पोस्टमास्टर जनरल को सुझाव भेजा कि कुछ डाक-टिकट जानबूझ कर गलतियों के साथ छापे जायें और उनको गरीबों को पाँच-पाँच सेण्ट में बेच दिया जाय। ये गरीब इन टिकटों को संग्रहकर्ताओं को मुँहमाँगी कीमतों पर बेचकर अपना जीवन सुधार सकेंगे।

7 comments:

डॉ. मनोज मिश्र said...

सही लिखा है आपनें .

Amit Kumar Yadav said...

एक सोलह वर्षीय किशोर ने गरीबी खत्म करने हेतु अमेरिका के पोस्टमास्टर जनरल को सुझाव भेजा कि कुछ डाक-टिकट जानबूझ कर गलतियों के साथ छापे जायें और उनको गरीबों को पाँच-पाँच सेण्ट में बेच दिया जाय। ये गरीब इन टिकटों को संग्रहकर्ताओं को मुँहमाँगी कीमतों पर बेचकर अपना जीवन सुधार सकेंगे....Wonder. It shows the Value of Stamps.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World said...

आपका यह ब्लॉग तो जानकारियों का खजाना है. मुझे लगता है डाक टिकट में रूचि रखने वाले हर व्यक्ति को इस ब्लॉग से रु-ब-रु होना चाहिए.

Dr. Brajesh Swaroop said...

...लाजवाब ! विभिन्न देशो से रोचक उदहारण.

Dr. Brajesh Swaroop said...

...लाजवाब ! विभिन्न देशो से रोचक उदहारण.

Akanksha Yadav said...
This comment has been removed by the author.
Akanksha Yadav said...

फिलेटली पर आपकी यह सीरीज बेहद ज्ञानवर्धक, रोचक, प्रेरक एवं शोधानुकुल है....इसकी जितनी भी प्रशंसा की जाय कम होगी.