Friday, August 29, 2014

India Post announces 'Republic Day-2015 Stamp Design competition' with 'Clean India' theme

It's every person's dream that pictures designed by them appear on a Postage Stamp as a souvenir. Postal Department has come up with a golden opportunity for people with artistic talents, where picture designed by them will be depicted on a Postage Stamp.

 Mr. Krishna Kumar Yadav, Director Postal Services, Allahabad Region informed that Department of Posts is holding a 'Republic Day 2015- Stamp design competition.' The theme of the competition is 'Clean India' and under this competition any citizen of India can participate. Mr. Yadav told that the design could be in ink, water colour, oil colour and any other medium but computer printed/print out will not be allowed. The design submitted should be such that it can be depicted on the stamps in a visually appealing manner so as to be of interest to philatelic collectors. 

Director Mr. KK Yadav also informed that particulars i.e. name of the participants, age, nationality, full and complete residential address with pin code, phone/mobile no. and e-mail ID is to be written legibly on the reverse of the design. An undertaking stating that 'The artwork submitted is original and no copyright issues are involved' should be sent along with the entry. Design should be sent without being folded, through Speed Post only in A-4 size envelope and participant should mention "Republic Day 2015- Stamp Design Contest" on the envelope. The entries should be sent to Asstt. Director General (Philately), Room no. 108 (B), Dak Bhawan, Parliament Street, New Delhi-110001 by 15th October, 2014, added Mr. Yadav.

Mr. Krishna Kumar Yadav, Director Postal Services, Allahabad Region said that the winning entries will also be awarded on national level Rs. 10,000/- for first prize, Rs. 6,000/- for second prize, and Rs. 4,000/- for third prize respectively. 











Thursday, August 28, 2014

गणतंत्र दिवस-2015 के लिए 'स्वच्छ भारत’ थीम आधारित डाक टिकट डिजाइन प्रतियोगिता की घोषणा

हर किसी की चाहत होती है कि उसका बनाया चित्र डाक टिकट पर एक धरोहर के रूप में अंकित हो। भारतीय डाक विभाग ऐसे लोगों के लिए एक सुनहरा मौका लेकर आया है, जहाँ डाक टिकट पर आप द्वारा बनाया मौलिक चित्र स्थान पा सकता है। 

इस संबंध में जानकारी देते हुए इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि आगामी गणतंत्र दिवस-2015 के लिए डाक विभाग ने ’स्वच्छ भारत’ थीम पर डाक टिकट डिजाइन प्रतियोगिता की घोषणा की है, जिसके तहत कोई भी भारतीय नागरिक इस विषय पर डाक टिकट व अन्य फिलेटेलिक सामग्री हेतु अपना मौलिक डिजाइन भेज सकता है। 

डाक निदेशक श्री यादव ने बताया कि यह डिजाइन इंक, वाटर व आयल कलर इत्यादि में हो सकती है, पर कम्प्यूटर प्रिन्टेंड/प्रिंट आउट की अनुमति नहीं होगी। डिजाइन के पीछे प्रतिभागी का नाम, उम्र, राष्ट्रीयता, पिन कोड के साथ आवासीय पता, फोन/मोबाइल नं0 व ई-मेल लिखा होना चाहिए। इसके साथ ही मौलिकता का एक घोषणपत्र भी संलग्न करना होगा। संबंधित प्रतिभागी स्पीड पोस्ट के माध्यम से 15 अक्टूबर 2014 तक अपनी प्रविष्टियाँ सहायक महानिदेशक (फिलेटली), कक्ष संख्या 108 (बी), डाक भवन, पार्लियामेंट स्ट्रीट, नई दिल्ली-110001 पर भेज सकते हैं। स्पीड पोस्ट लिफाफे के ऊपर ’’गणतंत्र दिवस 2015-डाक टिकट डिजायन प्रतियोगिता’’ अवश्य अंकित होना चाहिए।

डाक निदेशक श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि डाक टिकट डिजाइन हेतु राष्ट्रीय स्तर पर क्रमशः 10,000, 6000 व 4000 रूपये का प्रथम, द्वितीय व तृतीय पुरस्कार भी दिया जायेगा।




              गणतंत्र दिवस-2015 पर डाक टिकट के रूप में जारी हो सकता है आपका बनाया चित्र 

’स्वच्छ भारत’ थीम आधारित डाक टिकट डिजाइन प्रतियोगिता की घोषणा

Friday, August 22, 2014

कहानी पोस्टकार्ड की

डाक का महत्व प्राचीन काल से ही रहा है. उस समय एक राजा दूसरे राज्य के राजा तक अपना संदेश एक विशेष व्यक्ति जिसे दूत कहा जाता था, के माध्यम से भेजते थे. उन दूतों को राज्य की ओर से सुरक्षा तथा सम्मान प्रदान किया जाता था. महाकाव्य रामायण तथा महाभारत में कई प्रसंगों में संदेश भेजे जाने का उल्लेख प्राप्त होता है. राजा जनक ने अपनी पुत्री सीता और राम के विवाह होने का संदेश राम के पिता दशरथ को भिजवाया था. रावण की राजसभा में श्रीराम का सन्देश लेकर अंगद का जाना, इस बात का प्रमाण है.. महाभारत में श्रीकृष्ण का कौरवों के लिए पांच गांव मांगने जाना तथा अनेक राज्यों में पांडवों तथा कौरवॊं के पक्ष में, युद्ध में भाग लेने के लिए संदेश पहुँचाना, जैसी कोई डाक व्यवस्था उस समय काम कर रही होगी.

अन्य प्रसंगों में राजा नल द्वारा दमयन्ती के बीच सन्देशों का आदान-प्रदान हंस द्वारा होने का वर्णण आता है. महाकवि कालीदास के मेघदूत में दक्ष अपनी प्रेमिका के पास मेघों के माध्यम से सन्देश पहुँचाते थे. एक प्रेमी राजकुमार अपनी प्रेमिका को कबूतरों द्वारा पत्र पहुँचाते थे. खुदाई के दौरान कुछ ऐसी महत्वपूर्ण जानकारियां मिली हैं कि मिस्र, यूनान एवं चीन में डाक व्यवस्था थी. सिकन्दर महान ने भारत से यूनान तक संचार व्यवस्था बनाई थी, जिससे उसका संपर्क यूनान तक रहता था. अनेक राजा-महाराजा एक स्थान से दूसरे स्थान तक सन्देश पहुंचाने के लिए द्रुतगति से दौडने वाले घोडॊं का प्रयोग किया करते थे.

यह सब कालान्तर की बातें तो है ही, साथ ही रोचक भी है. इसका प्रयोग केवल उच्च वर्ग तक ही सीमित था. साधारण जन इससे कोसों दूर था. बाद मे कई प्रयास किए गए और डाक व्यवस्था में निरन्तर सुधार आता गया और आज यह व्यवस्था आम हो गई है.    

१ अक्टूबर सन १८५४ को पहला भारतीय डाक टिकिट जारी किया गया था. उस समय तक पोस्टकार्ड की कल्पना भी नहीं की गई थी. सन १८६९ में आस्ट्रिया के डाक्टर इमानुएल हरमान ने पत्राचार के एक सस्ते साधन के रुप में पोस्टकार्ड की कल्पना की थी. भारत में पहली बार १ जुलाई १८७९ को पोस्टकार्ड जारी किए गये. जिसकी डिजाइन और छपाई का कार्य मेसर्स थामस डी.ला.रयू. एण्ड कंपनी लंदन ने किया था. उसके  दो मूल्य वर्ग थे. एक पैसा( उस समय एक आने में चार पैसे हुआ करते थे) मुल्य का कार्ड अन्तरदेशीय प्रयोग के लिए था और देढ-आना वाला कार्ड ,उन देशों के लिए था जो “अंतरराष्ट्रीय डाक संघ” से संबद्ध थे.

पहले पोस्टकार्ड मध्यम हलके भूरे से रंग में छपे थे. एक पैसे वाले कार्ड पर “ ईस्ट इण्डिया पोस्टकार्ड” छपा था. बीच में ग्रेट ब्रिटेन का राज चिन्ह मुद्रित था और ऊपर की तरफ़ दाएं कोने मे लाल-भूरे रंग में छपी ताज पहने साम्राज्ञी विक्टोरिया” की मुखाकृति थी. विदेशी पोस्टकार्ड में ऊपर अंग्रेजी और फ़्रेंच भाषाओं में” यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन” अंकित था. इसके नीचे दो पंक्तियों में अंग्रेजी में क्रमशः “ब्रिटिश इण्डिया” और” पोस्टकार्ड” और इसका फ़्रेंच रुपान्तर तथा इन दोनों के बीच में ब्रिटेन का राजचिन्ह मुद्रित था एवं ऊपर दाहिने कोने पर टिकिट होता था. टिकिट और लेख नीले रंग में थे. दोनों ही प्रकार के कार्डॊ में अंग्रेजी में” दि एड्रेस ओनली टु बी रिटेन दिस साईड” छपा था.                                                                                                                                                                                        
 पोस्टकार्ड में कई परिवर्तन हुए. १८९९ में “ईस्ट” शब्द हटा दिया गया और उसके स्थान पर “ इण्डिया पोस्ट कार्ड” मुद्रित होने लगा.

दिल्ली के सम्राट जार्ज पंचम के राज्याभिषॆक की स्मृति में सन १९११ में केन्द्रीय और प्रान्तीय सरकारों ने सरकारी प्रयोग के लिए विशेष पोस्टकार्ड जारी किए थे. इन पर “ पोस्टकार्ड” शब्द मुद्रित था,परन्तु टिकिट का कोई चिन्ह अंकित नहीं था. इन पर “ताज” और “ जी.आर.आई” मोनोग्राम सुनहरे रंग में और दिल्ली तथा विभिन्न प्रांतों के बीच के प्रतीक-चिन्ह ,भिन्न-भिन्न रंगों से इम्बासिंग पद्धति से मुद्रित थे.

स्वतंत्रता के बाद चटकीले हरे रंग में “त्रिमूर्ति” की नयी डिजाइन के टिकिट वाला प्रथम पोस्टकार्ड ७ दिसम्बर १९४९ को जारी किया गया था. सन १९५० में कम डाक दर( ६ पाई) के स्थानीय़ पोस्टकार्ड जारी किए गए, जिन पर कोणार्क के घोडॆ की प्रतिमा पर आधारित टिकिट की डिजाइन चाकलेट रंग में छपी थी.  २ अक्टूबर १९५१ को तीन चित्र पोस्ट्कार्डॊं की एक श्र्रृंखला जारी की गई,जिसमें एक पर बच्चे को लिए हुए गांधीजी, दूसरे पर चर्खा चलाते हुए गांधीजी और तीसरे पर कस्तूरबा गांधी के साथ गांधीजी का चित्र अंकन था. २ अक्टूबर १९६९ को गांधी शताब्दी के उपलक्ष में तीन पोस्टकार्डॊं की दूसरी श्रृंखला निकाली गई, जिसमें गांधीजी और गांधीजी की मुखाकृति अंकित थी.

जबसे पोस्टकार्डॊं का प्रचलन हुआ है, तभी से जनता के पत्र-व्यवहार का माध्यम ये पोस्ट्कार्ड रहे हैं. हमारे देश के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी ये काफ़ी लोकप्रिय है. इस समय प्रतिवर्ष अरबों की संख्या में पोस्टकार्ड देश के एक छोर से दूसरे छोर तक, देशवासियों को भातृत्व के बंधन में बांधने का कार्य करते हैं.


- (लेखक गोवर्धन यादव  डाक विभाग के पोस्ट्मास्टर पद से सेवानिवृत्ति पश्चात स्वतंत्र लेखन और अध्ययन से जुड़े हुए हैं। विभिन्न सम्मानों से अलंकृत श्री यादव फ़िलहाल  छिंदवाड़ा में रहते हुए सृजनरत हैं।  पता - 103, कावेरी नगर, छिंदवाड़ा, मध्यप्रदेश )       



Sunday, August 17, 2014

पोस्टकार्ड पर ही उकेर दिया पूरा सुंदर काण्ड

पोस्टकार्ड का नाम सुनते ही मन में चिट्ठियां तैरने लगती हैं।  इसे काम शब्दों में खुले संवाद के तौर पर देखा जाता है। आखिर,  इस पोस्टकार्ड पर कितनी लाइनें लिखी जा सकती हैं। बमुश्किल 20, 25, या अधिक से अधिक 50। इन्हें पढ़ने में पांच, सात या फिर 10 मिनट से ज्यादा नहीं लगेंगे। पर यहाँ तो इसका एक अलग ही प्रयोग हुआ और एक महिला ने  पोस्टकार्ड पर रामचरित मानस के पूरे सुंदरकांड को ही उकेर दिया । इतना ही नहीं फिर भी जगह बच गई तो हनुमान चालीसा, हनुमानाष्टक भी लिख डाला। यह अद्भुत कारनामा कर दिखाया है ज्ञानपुर (भदोही) स्थित देवनाथपुर की सुप्रिया ने। हालांकि विवाह के बाद गिनीज बुक आफ व‌र्ल्ड रिकार्ड में नाम शामिल कराने की उसकी हसरत अभी अधूरी है।

आजमगढ़ निवासी गुलाब चंद बरनवाल की पुत्री सुप्रिया शुरू से ही होनहार थी। हमेशा कुछ अलग करने की ललक उसे बचपन से ही था। स्नातक की पढ़ाई करते समय ही छोटे-छोटे अक्षरों में लिखने के अभ्यास का जुनून सवार हुआ। वह पढ़ाई के दौरान ही कई धार्मिक किताबों को कम से कम जगह में अधिक शब्दों को लिख रही थी। उसके इस हुनर को देख साथी भी दांतों तले अंगुल दबाते थे। इसी बीच उसकी शादी देवनाथपुर निवासी अंजनी कुमार से हो गई। ससुराल आने के बाद सर्व प्रथम उसने पोस्टकार्ड पर दुर्गा चालीसा लिखने का काम किया। धीरे-धीरे उसका उत्साह लिखने को लेकर बढ़ने लगा। गिनीज बुक आफ व‌र्ल्ड रिकार्ड में नाम शामिल कराने का जज्बा लेकर उसने जुलाई 2004 में एक ही पोस्टकार्ड पर सुंदरकांड सहित हनुमान चालीसा, संकटमोचन हनुमानाष्टक लिख दी। हकीकत तो यह है कि इन अक्षरों को बगैर माइक्रोस्कोप नहीं पढ़ा जा सकता है। इसके बाद उसने 10 दिन में मानस के किष्किंधाकाण्ड को भी कलमबद्ध किया है।

 बकौल सुप्रिया, शुरू से ही कुछ अलग करने का जज्बा न जाने कहां से मिल गया था। लोगों ने प्रोत्साहित भी किया। सुंदरकांड पोस्टकार्ड पर लिखने का जज्बा लोगों के उत्साह बढ़ाने से ही मिला। अब समय नहीं मिल पाता है लेकिन इन सबके बीच कुछ अलग करने की ललक में कोई कमी नहीं है।

परिवार में व्यस्तता के कारण व‌र्ल्ड रिकार्ड में नाम शामिल कराने की उसकी ख्वाहिश पूरी नहीं हो सकी। सुप्रिया को अब बच्चों की पढ़ाई आदि कार्यो में ही अधिक समय लग जाता है। पोस्टकार्ड पर छोटे-छोटे अक्षरों में लिखने के लिए एकाग्र चित व समय चाहिए। ऐसे में जो माहौल पहले था वह अब नहीं मिल पा रहा है।

Saturday, August 16, 2014

इलाहाबाद जीपीओ में धूमधाम से मनाया गया स्वतंत्रता दिवस

इलाहाबाद में सिविल लाइंस स्थित प्रधान डाकघर कैम्पस में स्वतंत्रता दिवस धूमधाम से मनाया गया।  इस अवसर पर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा का ध्वजारोहण इलाहाबाद परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री एम. ई. हक़ द्वारा किया गया। राष्ट्रगान की धुनों के बीच जहाँ देश प्रेम संबंधी नारे लगाये गए, वहीं तमाम अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ-साथ उनके परिवारीजन भी इस समारोह का हिस्सा बने।  पोस्टमास्टर जनरल श्री एम. ई. हक़ ने इस अवसर पर आजादी से जुड़े संस्मरण सुनाये और सभी से राष्ट्र हित कृत संकल्प होकर कार्य करने की अपील की। 

इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं श्री कृष्ण कुमार यादव ने इस अवसर पर आजादी के सन्दर्भ में डाक विभाग की  ऐतिहासिकता को रेखांकित करते हुए कहा कि आजादी का अर्थ सिर्फ राजनैतिक आजादी नहीं अपितु यह एक विस्तृत अवधारणा है, जिसमें व्यक्ति से लेकर राष्ट्र का हित व उसकी परम्परायें छुपी हुई हैं। डाक निदेशक श्री यादव ने कहा कि आजादी की शाश्वतता को बरकरार रखने के लिए जरुरी है कि हम अपने स्तर पर छोटी-छोटी पहलें करके समाज और राष्ट्र को समृद्ध बना सकते हैं। उन्होंने लोगों से वृक्षारोपण, लोगों को शिक्षित करने, पुस्तक-दान, अनाथों और वृद्धों की सहायता, स्वच्छ्ता अभियान जैसे पहल अपने स्तर पर शुरू कर देश की सुख-समृद्धि में भागीदार बनने की बात कही।  'बेटियाँ पढ़ेंगीं, तभी देश आगे आगे बढ़ेगा' की अपील के साथ डाक कर्मियों के उन बच्चों को भी इस अवसर पर सम्मानित किया गया, जिन्होंने कक्षा 10 और 12 की परीक्षा में उत्कृष्ट  स्थान पाया है।

इस अवसर पर तमाम विभागीय अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे।



स्वतंत्रता दिवस पर इलाहाबाद जीपीओ में झंडारोहण पश्चात इलाहाबाद परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री एम. ई. हक़ और निदेशक डाक सेवाएं श्री कृष्ण कुमार यादव।


स्वतंत्रता दिवस पर इलाहाबाद जीपीओ में झंडारोहण पश्चात अधिकारी व कर्मचारी गण।


जन गण मन अधिनायक जय हे : स्वतंत्रता दिवस पर इलाहाबाद जीपीओ में झंडारोहण पश्चात राष्ट्रगान। 


इलाहाबाद जीपीओ में झंडारोहण पश्चात इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं श्री कृष्ण कुमार यादव का संबोधन। 


स्वतंत्रता दिवस पर इलाहाबाद जीपीओ में आयोजित सम्मान समारोह में एक विद्यार्थी को सम्मानित करते इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं श्री कृष्ण कुमार यादव।



बेटियाँ पढ़ेंगीं, तभी देश आगे बढ़ेगा : स्वतंत्रता दिवस पर इलाहाबाद जीपीओ में आयोजित सम्मान समारोह में छात्रा को सम्मानित करते इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं श्री कृष्ण कुमार यादव।





स्वतंत्रता दिवस समारोह में इलाहाबाद जीपीओ में उपस्थित अधिकारी व कर्मचारीगण।


ग्रुप फोटो : डाक विभाग के जिन अधिकारियों/कर्मचारियों के बच्चों ने कक्षा 10 और 12 की परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है, उन सभी बच्चों को इलाहाबाद परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री एम. ई. हक़ और निदेशक डाक सेवाएं श्री कृष्ण कुमार यादव द्वारा सम्मानित किया गया। 


!! प्रस्थान !!



Sunday, August 10, 2014

जन्मदिन के बहाने ...

10 अगस्त को हमारा जन्मदिन है और रक्षाबंधन भी। इस शुभ दिन पर हमने खूब सारे पौधे लगाए। जब ये पौधे बड़े होकर लहलहाएंगे, उन पर फूल खिलेंगे, फल उगेंगे तो चिड़ियों की चहचहाहट के बीच प्रकृति भी हमें दिल से आशीष देगी.





जन्मदिन सिर्फ सेलिब्रेशन तक नहीं होता।  जन्मदिन के बहाने पिछले एक साल के पन्ने पलटकर देखना भी होता है कि क्या कमियाँ रहीं, क्या उपलब्धियाँ रहीं।  क्या खोया, क्या पाया। इसके साथ ही अगले सालों के लिए दृढ निश्चय होकर फिर आगे बढ़ जाने का नाम भी है जन्मदिन। क्योंकि जिंदगी निरंतर चलने का नाम है और यह चलना सिर्फ पाँवों पर नहीं होता, बल्कि इसमें बहुत कुछ जुड़ता जाता है !! 
(चित्र में : हमारे जीवन की पहली फोटो, जो कि बचपन में ली गई थी)



Saturday, August 9, 2014

राखी वितरण हेतु रक्षाबंधन (रविवार) को भी खुलेंगे डाकघर


रक्षाबंधन के दिन भाइयों की कलाई बहनों की राखी के बिना सूनी न रहे, इसके लिए डाक विभाग ने विशेष प्रबंध किये हैं। इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि रक्षाबंधन के दिन रविवार होने के बावजूद इलाहाबाद सहित उत्तर प्रदेश के सभी वितरण डाकघर खोले जायेंगे ताकि उस दिन प्राप्त सभी राखियों का वितरण सुनश्चिित किया जा सके। रक्षाबंधन के दिन पोस्टमैन घर-घर जाकर लोगों की राखियाँ वितरित करेंगे। गौरतलब है कि इस समय डाकघरों में खूब राखियाँ वितरण के लिए प्राप्त हो रही हैं। 

Friday, August 8, 2014

वर्चुअल होते संबंधों के बीच सात समुद्र पार भी राखी का क्रेज़


राखी का अटूट बंधन देशों की सरहदें नहीं जानता, तभी तो आज भी भाई-बहन के बीच प्यार का प्रतीक रक्षाबंधन सरहदों की सीमाएं लांघ रहा है।  तमाम बहनों द्वारा विदेशों में अपने भाईयों को डाक के माध्यम से राखियाँ भेजी जा रही हैं ।  इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि इलाहाबाद परिक्षेत्र के डाकघरों से लोगों द्वारा अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, मारीशस, मलेशिया, पोलैंड, जापान, थाईलैंड, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, डेनमार्क, कनाडा, संयुक्त अरब अमीरात व अन्य तमाम देशों में न सिर्फ डाक द्वारा रक्षाबंधन  भेजे जा रहे हैं, बल्कि विदेशों से आयी तमाम राखी-डाक भी  डाकियों द्वारा इस समय रोज वितरित की जा रही है।

डाक निदेशक श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि वर्चुअल होते संबंधों के बीच राखी का धागा आज भी अपनी अहमियत रखता है। यही कारण है कि रक्षाबंधन के समय डाकघरों में राखियाँ भेजने वालों की लंबी कतारें लगती हैं। (स्रोत : समाचार पत्र)

50 पैसे का पोस्टकार्ड, लागत 7 रुपये

टेक्नॉलजी बदली पर अभी भी बहुत सी चीजें अपना स्थान बनाई हुई हैं।  इनमें से एक पोस्टकार्ड भी है। सरकार के लिए 50 पैसे के पोस्टकार्ड की वास्तविक लागत 7 रुपये बैठती है। सूचना के अधिकार यानी आरटीआई के जरिये मांगी गई जानकारी में डाक विभाग ने ऐसी सेवाओं की सूचना मुहैया कराई जो उसके लिए नुकसान वाला कारोबार साबित हो रही हैं।

सूचना के अधिकार के तहत मांगी जानकारी में विभाग ने कहा कि 2012-13 में पोस्टकार्ड की बिक्री से प्रति इकाई 50 पैसे प्राप्त हुए, जबकि इस सेवा को बरकरार रखने की लागत 7.18 रुपये रही जो 2010-11 में 7.50 रुपये थी।

इसी तरह 2012-13 में प्रिंटेड पोस्टकार्ड से 6 रुपये प्रति इकाई का राजस्व मिला जबकि लागत 7.19 रुपये प्रति इकाई रही। जांच में पाया गया कि अंतर्देशीय की लागत 7.18 रुपये प्रति इकाई थी जबकि इस पर आय 2.50 रुपये प्रति इकाई थी।

डाक विभाग का रजिस्टर्ड समाचार पत्र भेजने पर प्रति इकाई 10.59 रुपये का खर्च आता है, जबकि समाचारपत्र का एक बंडल भेजने पर 20.79 रुपये का खर्च आता है। वहीं एक समाचारपत्र भेजने पर उसे मात्र 59 पैसे मिलते हैं जबकि बंडल भेजने पर 1.63 रुपये की प्राप्ति होती है।

डाक विभाग ने यह भी कहा कि 2012-13 में बीमा की पेशकश 55.24 रुपये की दर पर की गई जबकि इसकी लागत करीब तीन गुना 141.82 रुपये है। किताबों के पैकेट को भेजने पर विभाग को 9.51 रुपये की लागत आती है जबकि विभाग को हर डिलीवरी पर सिर्फ 2.90 रुपये की आय होती है।

हर पार्सल पर डाक विभाग को 40.69 रुपये की आय होती है जबकि लागत 46.58 रुपये आती है। प्रिंटेड किताब से 2.90 रुपये की आय होती जबकि लागत 12.44 रुपये होती है। आवेदक एस सी अग्रवाल को भेजे जवाब में विभाग ने कहा है, ‘इस संबंध में कोई सालाना मुनाफा-नुकसान खाता तैयार नहीं किया गया है।’

Thursday, August 7, 2014

Indian Post office Act - Govt thinks to Amend

NEW DELHI, Aug 4: The government today said it is considering a proposal to amend the Indian Post Office Act, making postal authorities responsible for non-delivery or loss in transit of articles for consumers.
“The proposal to amend the Indian Post Office Act, 1898, is under consideration which includes the examination of the scope of making postal authorities responsible for non-delivery or loss in transit of the articles of consumers,” Minister of Communications and IT Mr. Ravi Shankar Prasad said in a written reply to Lok Sabha.

On a query if Indian Post is losing its share to the operations of private courier companies, the Minister said the share of both the traffic and revenue of Speed Post have been increasing over the years.
“Study on Speed Post conducted through the Indian Market Research Bureau International, reveals that the share of Department of Posts in the overall courier market has increased from the range of 15.1 per cent to 18.3 per cent in the year 2010-2011, 16.7 per cent to 19.8 per cent in year 2011-12 and 17.4 per cent to 20.2 per cent in year 2012-13,” he added. (PTI)

Tuesday, August 5, 2014

पदोन्नत हुए डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव

इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं कृष्ण कुमार यादव को भारत सरकार ने सेलेक्शन ग्रेड में पदोन्नत किया है। भारतीय डाक सेवा के 2001 बैच के अधिकारी कृष्ण कुमार यादव वर्तमान में जूनियर एडमिनिस्ट्रेटिव ग्रेड में थे और अब उन्हें भारत सरकार ने पे बैंड-4 में नान फंक्शनल सेलेक्शन ग्रेड (वेतनमान-रू 37,400-67,000, ग्रेड पे-8700) में पदोन्नत किया है।  कृष्ण कुमार यादव सहित उनके बैच के सभी 9 अधिकारियों को यह पदोन्नति 1 जनवरी 2014 से दी गयी है। 

कृष्ण कुमार यादव भारतीय डाक सेवा के लोकप्रिय अधिकारियों में गिने जाते हैं। उन्होंने भारतीय डाक सेवाओं को आम जन में और ज्यादा उपयोगी बनाने के लिए सतत् प्रयास किए हैं। उनका विभिन्न विषयों पर साहित्य लेखन बहुत सशक्त है, जिसके लिए उनको कई प्रतिष्ठित सम्मान भी मिले हैं। उन्होंने अपने मूल कार्य क्षेत्र में भी हिंदी के उपयोग और विकास में बेहतर योगदान दिया है। कृष्ण कुमार यादव के पिताश्री श्रीराम शिवमूर्ति यादव भी हिंदी साहित्य के क्षेत्र में एक नाम हैं।  इनकी पत्नी श्रीमती आकांक्षा यादव जहाँ  हिंदी साहित्य, लेखन और ब्लागिंग में बखूबी सक्रिय हैं, वहीँ  इनकी पुत्री अक्षिता (पाखी) भी एक नवोदित ब्लागर है। कृष्ण कुमार यादव की कार्यप्रणाली में उच्चकोटि की रचनात्मकता और व्यवहार कुशलता देखने को मिलती है। 








Director Postal Services of Allahabad Region Mr. Krishna Kumar Yadav, has been promoted by the Government of India in the Non-functional Selection Grade (NFSG) of the service in the pay band-4, Rs. 37,400-67,000/- with grade pay of  Rs. 8700/-. Mr. Yadav is an officer of Indian Postal Services, 2001 batch and all his 9 batchmates have been awarded this promotion w.e.f. 1st January, 2014. 

Now, send Rakhis in waterproof and designer Envelope

Now send Rakhis to your brothers residing in far-off cities through waterproof designer envelopes without worrying about it being damaged in rain water.

Department of Posts has started sale of Rakhi envelopes through Head Post Offices to provide tamperproof and waterproof packaging solution to the customers for sending Rakhi. Mr. Krishna Kumar Yadav, Director Postal Services, Allahabad Region said that since the Rakhi Festival is celebrated during monsoon season, when the atmosphere is very humid, and paper envelopes may not be able to deliver Rakhi in good condition, these specially designed Rakhi envelopes offer a better option for sisters sending Rakhi to their brothers in distant places across the country.

Mr. Krishna Kumar Yadav told that offered in the dimension of 11 cm x 22 cm these waterproof envelopes are priced at Rs. 7.50 per envelop excluding Postal charges. These designer envelopes are available in different varieties. Special feature of these envelopes is “Peal and Seal” mechanism which does not require use of gums or adhesives.

Director Postal Mr. Krishna Kumar Yadav also informed that special arrangements have been made at Post Offices.  For safe and time bound delivery of Rakhi Mail, Special Post Boxes are arranged in the premises of these offices for the purpose. At Allahabad Head Post Office 09 Separate letter boxes are made available for major cities like Delhi, Kolkata, Chennai, Mumbai, Hyderabad, Bangalore, Lucknow and Varanasi  to save time in sorting and speed up delivery on time. He further told that if the mail volume increases, additional arrangements will be made for delivery on time.




बहना भेजेगी राखी अब वाटरप्रूफ डिजायनर लिफाफे में


बहनों द्वारा भाईयों की कलाइयों पर बँधने वाली राखी सुरक्षित रूप में व तीव्र गति से भेजी जा सके, इसके लिए डाक विभाग ने विशेष प्रबन्ध किये हैं।  

इस संबंध में जानकारी देते हुए इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि राखियों को सुरक्षित भेजने हेतु प्रधान डाकघरों द्वारा विशेष रुप से निर्मित डिजाइनदार राखी लिफाफों की ब्रिकी की जा रही है। ये राखी लिफाफे वाटर प्रूफ तथा सुरक्षा की दृष्टि से मजबूत हैं, जिससे मानसून के मौसम में भी बहनों द्वारा भेजी गई राखियाँ सुदूर रहने वाले भाइयों तक सुरक्षित पहुँच सकें। राखी लिफाफों को चिपकाने हेतु इनमें विशेष स्टिकर का प्रयोग किया गया है जिससे लेई या गम की आवश्यकता नहीं होगी। श्री यादव ने बताया कि 11 सेमी x  22 सेमी आकार के इन राखी लिफाफों का मूल्य रुपया 7.50 है जो डाक शुल्क के अतिरिक्त है। उन्होंने  बताया कि रंगीन और डिजाइनदार होने की वजह से इन्हें अन्य डाकों से अलग करने में समय की बचत और पर्व के पूर्व वितरण कराने में सहुलियत होगी। 

डाक निदेशक श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि राखियों को गंतव्य तक समय से पहुँचाने  हेतु भी विशेष प्रबंध किये गये हैं। इसके तहत प्रधान डाकघरों में  राखी पोस्ट करने हेतु अलग लेटर बाक्स लगाये गये हैं।  श्री यादव ने कहा कि इससे राखी डाक की छँटनी करने में समय की बचत होगी और राखियों को समय से गंतव्य तक पहुँचाया जा सकेगा।