टेक्नॉलजी बदली पर अभी भी बहुत सी चीजें अपना स्थान बनाई हुई हैं। इनमें से एक पोस्टकार्ड भी है। सरकार के लिए 50 पैसे के पोस्टकार्ड की वास्तविक लागत 7 रुपये बैठती है। सूचना के अधिकार यानी आरटीआई के जरिये मांगी गई जानकारी में डाक विभाग ने ऐसी सेवाओं की सूचना मुहैया कराई जो उसके लिए नुकसान वाला कारोबार साबित हो रही हैं।
सूचना के अधिकार के तहत मांगी जानकारी में विभाग ने कहा कि 2012-13 में पोस्टकार्ड की बिक्री से प्रति इकाई 50 पैसे प्राप्त हुए, जबकि इस सेवा को बरकरार रखने की लागत 7.18 रुपये रही जो 2010-11 में 7.50 रुपये थी।
इसी तरह 2012-13 में प्रिंटेड पोस्टकार्ड से 6 रुपये प्रति इकाई का राजस्व मिला जबकि लागत 7.19 रुपये प्रति इकाई रही। जांच में पाया गया कि अंतर्देशीय की लागत 7.18 रुपये प्रति इकाई थी जबकि इस पर आय 2.50 रुपये प्रति इकाई थी।
डाक विभाग का रजिस्टर्ड समाचार पत्र भेजने पर प्रति इकाई 10.59 रुपये का खर्च आता है, जबकि समाचारपत्र का एक बंडल भेजने पर 20.79 रुपये का खर्च आता है। वहीं एक समाचारपत्र भेजने पर उसे मात्र 59 पैसे मिलते हैं जबकि बंडल भेजने पर 1.63 रुपये की प्राप्ति होती है।
डाक विभाग ने यह भी कहा कि 2012-13 में बीमा की पेशकश 55.24 रुपये की दर पर की गई जबकि इसकी लागत करीब तीन गुना 141.82 रुपये है। किताबों के पैकेट को भेजने पर विभाग को 9.51 रुपये की लागत आती है जबकि विभाग को हर डिलीवरी पर सिर्फ 2.90 रुपये की आय होती है।
हर पार्सल पर डाक विभाग को 40.69 रुपये की आय होती है जबकि लागत 46.58 रुपये आती है। प्रिंटेड किताब से 2.90 रुपये की आय होती जबकि लागत 12.44 रुपये होती है। आवेदक एस सी अग्रवाल को भेजे जवाब में विभाग ने कहा है, ‘इस संबंध में कोई सालाना मुनाफा-नुकसान खाता तैयार नहीं किया गया है।’
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