उत्तर प्रदेश के पहले फिलाटेलिक म्यूजियम का लखनऊ जीपीओ में 12 सितम्बर, 2014 को उत्तर प्रदेश डाक परिमंडल के चीफ पोस्ट्मास्टर जनरल श्री आशुतोष त्रिपाठी द्वारा किया गया। इसमें डाक टिकटों के अलावा तमाम प्रथम दिवस आवरण, स्पेशल कवर, फिलेटलिक स्टेशनरी और अन्य ऐतिहासिक विरासत की वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं। उत्तर प्रदेश डाक परिमण्डल द्वारा निर्मित यह प्रथम् फिलेटलिक म्यूजियम पूर्णतया वातानुकूलित, कम्प्यूटराइज्ड एवं नयी साज सज्जा के साथ जी0पी0ओ0 लखनऊ में डाक टिकट संग्रह प्रेमियों के लिये समर्पित है। सुबह दस से शाम छह बजे तक लोग नि:शुल्क म्यूजियम की सैर कर सकेंगे।
लखनऊ जीपीओ में डाक विभाग ने स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर अब तक के सफर को चार कमरों वाले म्यूजियम में संजोकर रखा है। आजाद भारत के पहले दिन (15 अगस्त 1947) मुंबई के एक डाकघर से भेजे गए पत्र का लिफाफा हो या फिर 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू होने का साक्ष्य दर्शाता आवरण। अतीत के झरोखे के ऐसे तमाम यादगार लम्हों को यहाँ संजोया गया है।स्वतंत्रता आंदोलन के लिए महात्मा गांधी की दांडी यात्रा पर आधारित डाक टिकट भी उपलब्ध है। सन 1951 में हुए पहले एशियन गेम पर आधारित मशाल जलती हुई चित्र वाला डाक टिकट भी मौजूद है। महात्मा गांधी की पहली पुण्यतिथि पर 30 जनवरी 1949 को जारी हुआ आवरण भी म्यूजियम की शोभा बढ़ा रहा है। दस मई 1984 को जारी हुआ बेगम हजरत महल पर टिकट, फिल्म अभिनेता राजकपूर और गायिका बेगम अख्तर पर भी टिकट म्यूजियम में लगा हुआ है। लखनऊ घराने का कथक भी डाक टिकट पर उतर आया है।
जीपीओ के पहले तल पर स्थित फिलाटेलिक ब्यूरो ऑफिस में ही इस म्यूजियम को बनाया गया है। म्यूजियम में 39 फ्रेम में डाक टिकट और आवरण को सजाया गया है। फिलेटलिक म्यूजियम कें प्रथम कक्ष में स्वागत पटल-स्मारक डाक टिकट विक्रय पटल, माई स्टैम्प (आप की अपनी फोटो सहित) डाक टिकट का विक्रय पटल एवं डाक टिकट सग्रह से संबंधित पुस्तकालय प्रतिदिन (कार्य दिवस) प्रात‘ 10 बजे से सायं 6 बजे तक आम जनता के लिए प्रारम्भ किया गया।
फिलेटलिक म्यूजियम के द्वितीय , तृतीय एवं चतुर्थ कक्ष में भारत की आजादी से लेकर वर्तमान तक भारतीय डाक विभाग द्वारा विभिन्न विषयों पर आधारित जारी डाक टिकटों के प्रदर्श प्रदशित किये गये है। फ्रेम संख्या 1 से 7 तक: भारत की आजादी की कहानी डाक टिकटों की जुबानी ,फ्रेम संख्या 8 से 12 तकः इण्डिया पोस्ट इण्डिपेक्स, फ्रेम संख्या 16 पर: फ़्लोरा-फौना, फ्रेम संख्या 17 से 19 तकः स्पेशल कवर (भारतीय डाक विभाग द्वारा जारी ) फ्रेम सख्या 20 से 24 पर: मेघदूत पोस्टकार्ड फ्रेम संख्या 25 से 26 पर: आजादी के 50 वर्ष , फ्रेम संख्या 27 से 31 तक: इण्डिया पोस्ट इण्डिपेक्स (उत्तर प्रदेश परिमण्ण्डल से प्राप्त), फ्रेम संख्या 32 से 36 पर: 1997 से 2000 तक के डाक टिकट, फ्रेम संख्या 37 से 39 पर: प्रथम दिवस आवरण 2001 से 2002 तक प्रदर्शित है।
उद्घाटन के दौरान उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के पोस्ट्मास्टर जनरल, डाक निदेशक और तमाम अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।
जीपीओ के पहले तल पर स्थित फिलाटेलिक ब्यूरो ऑफिस में ही इस म्यूजियम को बनाया गया है। म्यूजियम में 39 फ्रेम में डाक टिकट और आवरण को सजाया गया है। फिलेटलिक म्यूजियम कें प्रथम कक्ष में स्वागत पटल-स्मारक डाक टिकट विक्रय पटल, माई स्टैम्प (आप की अपनी फोटो सहित) डाक टिकट का विक्रय पटल एवं डाक टिकट सग्रह से संबंधित पुस्तकालय प्रतिदिन (कार्य दिवस) प्रात‘ 10 बजे से सायं 6 बजे तक आम जनता के लिए प्रारम्भ किया गया।
फिलेटलिक म्यूजियम के द्वितीय , तृतीय एवं चतुर्थ कक्ष में भारत की आजादी से लेकर वर्तमान तक भारतीय डाक विभाग द्वारा विभिन्न विषयों पर आधारित जारी डाक टिकटों के प्रदर्श प्रदशित किये गये है। फ्रेम संख्या 1 से 7 तक: भारत की आजादी की कहानी डाक टिकटों की जुबानी ,फ्रेम संख्या 8 से 12 तकः इण्डिया पोस्ट इण्डिपेक्स, फ्रेम संख्या 16 पर: फ़्लोरा-फौना, फ्रेम संख्या 17 से 19 तकः स्पेशल कवर (भारतीय डाक विभाग द्वारा जारी ) फ्रेम सख्या 20 से 24 पर: मेघदूत पोस्टकार्ड फ्रेम संख्या 25 से 26 पर: आजादी के 50 वर्ष , फ्रेम संख्या 27 से 31 तक: इण्डिया पोस्ट इण्डिपेक्स (उत्तर प्रदेश परिमण्ण्डल से प्राप्त), फ्रेम संख्या 32 से 36 पर: 1997 से 2000 तक के डाक टिकट, फ्रेम संख्या 37 से 39 पर: प्रथम दिवस आवरण 2001 से 2002 तक प्रदर्शित है।
उद्घाटन के दौरान उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के पोस्ट्मास्टर जनरल, डाक निदेशक और तमाम अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।
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