Friday, September 23, 2016

संचार के सबसे पुराने माध्यम 'लेटर बॉक्स' का नवीनतम माध्यम 'स्मार्ट फोन' से हुआ मिलन

लेटर बॉक्स किसी परिचय का मोहताज नहीं है। सड़क के किनारे, लाल रंग का एक बॉक्स, जो बिना किसी मौसम की परवाह किये हम-सभी के सुख-दुःख को आगे बढ़ाता है। पत्र, खत या चिट्ठी जो भी कहें,  कभी संचार का पर्याय माना जाता था यह लाल बॉक्स।  पर जैसे-जैसे टेक्नॉलाजी बदलती गई, लोग इसे भी भूलते गए।  पर लेटर बॉक्स अभी भी वहीं पर है।  हो सकता है, इसमें पड़ने वाली चिट्ठियों की संख्या कम हो गई हो, पर यह अभी भी लोगों की सेवा करने के लिए तत्पर है।  तभी तो लोग यह शिकायत लेकर आते हैं कि हमारे इलाके का लेटर बॉक्स कई दिनों से नहीं खुल रहा है या हमारे क्षेत्र में भी एक लेटर बॉक्स लगवा दीजिये। 

 लेटर बॉक्स लोगों के स्टेट्स का भी प्रतीक है। जिनके घर के सामने लेटर बॉक्स लगे होते हैं, वे लोगों को सगर्व बताते हैं कि लेटर बॉक्स के सामने वाला घर ही तो हमारा है या लेटर बॉक्स वाली गली से मुड़ लीजियेगा। पत्र लेखन की विधा को जिन्दा रखने में लेटर बॉक्स का बड़ा महत्व है।  न जाने कितनी खट्टी-मीठी यादें अपने में सहेजे हुए है लेटर बॉक्स। खुशामदी से लेकर शिकवा-शिकायत तक को अपने में सहेज कर रखता है। 

मुझे एक घटनाक्रम याद आता है, जब हर सुबह डाकिया लेटर बॉक्स से पत्र निकलने जाता तो उसे सिंदूरी रंग से रँगा हुआ और फूलों के हार के साथ पाता। जब यह लंबे समय तक यह होता रहा तो डाकिया ने एक दिन ठान ही लिया कि इसका पता लगाकर रहेगा। भोर में ही वह वहां छुपकर बैठ गया।  कुछ देर बाद देखा कि एक महिला वहां आकर लेटर बॉक्स को सिंदूरी रंग से पोतकर उस पर फूल चढ़ा रही है।  वह दौड़कर उस महिला के पास  गया और इसका कारण पूछा तो उस महिला का मासूम जवाब सुनकर डाकिया भी हतप्रभ रह गया-" यह लेटर बॉक्स तो हमारे लिए हनुमान जी का रूप है। इसमें हम परदेश  में रह रहे अपने पिया को चिट्ठी डालते हैं और यह हनुमान जी की तरह उनके पास पहुँचा आता है। मुझे अपने पिया से यह जोड़ता है।" 

खैर, वक़्त के साथ कदमताल करते हुए डाक विभाग अब लेटर बॉक्स को भी स्मार्ट बना रहा है। अब लेटर बॉक्स से पत्रों की निकासी को साफ्टवेयर आधारित मोबाईल एप 'नन्यथा' (Nanyatha) से जोड़कर  इसे नई टेक्नालॉजी से जोड़ा जा रहा है।  इसी क्रम में पिछले दिनों कई प्रधान डाकघरों में इसके शुभारम्भ के लिए जाना हुआ। फूल-माला से सजे-धजे लेटर बॉक्स अपनी अलग ही रंगत बिखेर रहे थे। स्टाफ के लोगों का कहना था कि डाक विभाग की सबसे बड़ी पहचान लेटर बॉक्स हैं, पर उन्होंने पहली बार इसे फूलों से इतना सजा-धजा और सुवासित देखा। डाकघर आने वाले लोग और रोड से गुजर रहे भी एकबारगी ठिठक कर इस पुष्पहार से सुसज्जित लेटर बॉक्स को जरूर देखते। कोई पूछता कि क्या आज लेटर बॉक्स का जन्मदिन है तो नई पीढ़ी के लोग इसके साथ शान से अपनी सेल्फी लेते। ...... आखिर, संचार के  सबसे पुराने माध्यम 'लेटर बॉक्स' का नवीनतम माध्यम 'स्मार्ट फोन' से मिलन जो हो रहा था। 


रीयल टाइम आधारित और जीपीएस से लैस इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से जहाँ लेटर बॉक्स से पत्रों की निकासी की नियमित मॉनिटरिंग हो सकेगी, वहीं आम जन भी http://www.appost.in/nanyatha/ वेबसाइट पर जाकर अपने क्षेत्र के लेटर बॉक्स की अवस्थिति के साथ-साथ यह देख सकेंगे कि उनके क्षेत्र का लेटर बॉक्स प्रतिदिन नियमित रूप से खुलता है या नहीं और इसमें से कितने पत्र निकलते हैं। पारदर्शिता के साथ-साथ इससे डाक विभाग को लेटर बाक्सों के औचित्य स्थापन में भी सुविधा मिलेगी।



इसके तहत हर लेटर बॉक्स के अंदर 12 अंकों  का यूनिक बार कोड लगाया जायेगा, जिसमें प्रारम्भिक 6 अंक पिनकोड को दर्शायेंगे। डाककर्मी किसी भी लेटर बॉक्स से पत्रों की निकासी करेगा तो पहले वह अपने पास स्थित एंड्रायड बेस्ड स्मार्ट मोबाइल फोन में  स्थित 'नन्यथा एप' से उस लेटर बॉक्स के बार कोड को स्कैन करके उसमें निकले  कुल पत्रों की संख्या को उसी स्थान से अपलोड करेगा | इससे लेटर बॉक्स की लोकेशन सहित पत्रों की संख्या व निकासी की तारीख और समय सॉफ्टवेयर के माध्यम से तुरंत अपलोड हो जायेगा।

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